अधिकारियों ने दरकिनार किया शिवराज सरकार का आदेश, नहीं मिल रहा अर्जित अवकाश नगदीकरण का लाभ

मध्यप्रदेश शासन के वित विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-6-1/2018/नियम/चार दिनांक 28 जुलाई 2018 से मप्र सिविल सेवा (अवकाश) नियम 25 को संशोधित करते हुए शासकीय सेवकों को अर्जित अवकाश के संचयन की अधिकतम सीमा 240 दिवस के स्थान पर 300 दिवस की गई है। उपरोक्त आदेश से शासकीय सेवकों अथवा सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर अर्जित अवकाश की अधिकतम सीमा 300 दिवस निर्धारित करता है, परंतु इस आदेश का पालन न करते हुए अधिकारियों द्वारा पूर्व में प्रदाय आदेश अनुसार अर्जित अवकाश की गणना दो वर्ष पर 15 दिवस एवं एक वर्ष पर 7 दिवस अनुसार की जा रही है, जिससे कर्मचारियों को अपनी सेवाकाल 33 वर्ष अधिकतम सेवा करने के पश्चात् भी गणना पत्रक अनुसार 32 वर्ष पर, 2 वर्ष के लिए 15 दिवस अनुसार 16X15=240 दिन और 1 वर्ष के लिए 7 दिवस अर्थात कुल 247 दिवस अर्जित अवकाश की ही पात्रता होती है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि कर्मचारी को 33 वर्ष की सेवा करने के उपरांत भी 300 दिवस की अर्जित अवकाश नगदीकरण की पात्रता नहीं दी जाती है। अतः शासन का 300 दिवस का अर्जित अवकाश नगदीकरण मात्र एक छलावा है, जिससे प्रत्येक सेवानिवृत्त होने एवं मृत्यु हो जाने पर कर्मचारियों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है, कर्मचारियों को लगभग 50 से 60 दिवस का कम अर्जित अवकाश नगदीकरण प्राप्त हो रहा है, जिससे उसे लगभग 2 माह की सैलरी के बराबर की राशि का नुकासन हो रहा है, जिससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।

संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डे, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, अशोक मेहरा, नवीन यादव, अंकित चौरसिया, शैलेन्द्र दुबे, सीएन शुक्ला, चूरामन गूजर, सतीश देशमुख, योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी, हेमन्त गौतम, अमित गौतम, रामकृष्ण तिवारी, संदीप चौबे, रितुराज गुप्ता, निशांक तिवारी, अमित तिवारी, सुशील गर्ग, रामबिहारी पटेल, रमेश काम्बले आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से ईमेल कर मांग की है कि राज्य शासन के सभी कर्मचारियों को 300 दिवस का अर्जित अवकाश नगदीकरण प्रदान किया जाये।