Sunday, November 3, 2024
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बिजली कंपनियों की अनुकंपा नीति अर्थात मौतों का बंटवारा और आश्रितों के साथ भेदभाव

मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों की नई अनुकंपा नीति का सार यही है कि अनुकंपा आश्रितों को अंतिम प्रयास तक नियुक्ति न दी जाए, इसके लिए ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनी प्रबंधन ने अनुकंपा नीति में न केवल मौतों का बंटवारा कर दिया बल्कि अनेक भेदभावपूर्ण प्रावधान किए और आदेश जारी किए।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के नेतृत्व में शक्ति भवन के समक्ष बैरियर के पास अनुकंपा आश्रितों के परिवार के द्वारा 11 मार्च 2013 से लगातार धरना दिया गया। साथ ही विधवा महिलाओं ने जबलपुर से भोपाल 340 किलोमीटर पैदल मार्च निकाला और 22 दिनों में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची। वहीं मध्य प्रदेश के मंत्रियों एवं सभी जिलों के सांसदों एवं विधायकों को ज्ञापन पत्र भी दिए गए।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के द्वारा खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर 1 सितंबर 2000 से अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी। संघ ने ज्ञापनों और पत्रों के मध्यम से ऊर्जा विभाग से एक मांग की गई कि अनुकंपा नियुक्ति पर लगी रोक हटाई जाए और प्रदेश सरकार के अन्य विभागों की तरह बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि ऊर्जा विभाग के द्वारा वर्ष 2013-14 में नई अनुकंपा नीति लागू किए जाने का आदेश जारी किया गया, जिसमें मौतों का बंटवारा करते हुए कहा कि 15 नवंबर 2000 से 10 अप्रैल 2012 के बीच जिन बिजली कर्मियों की मृत्यु हार्ट अटैक या बीमारी के कारण हुई है, उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जावेगी, इसका आशय यही हुआ कि लगभग 12 वर्ष की इस अवधि के दौरान जिन बिजली कर्मियों की सामान्य मृत्यु सेवारत रहते हुई है, उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जायेगी।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि संघ ऊर्जा विभाग से लगातार पूछ रहा है कि इस 12 वर्ष की अवधि के दौरान जिन कर्मियों की मृत्यु हार्ट अटैक या सामान्य बीमारी से हुई है उनके आश्रितों को भी अनुकंपा नियुक्ति क्यों नहीं दी जावेगी? जिन कर्मियों की मृत्यु करंट लगकर या कार्य के दौरान किसी दुर्घटना में हुई है उनके आश्रितों को ही अनुकंपा नियुक्ति दी जावेगी। उन्होंने कहा कि जिन कर्मियों की हार्ट अटैक या सामान्य बीमारी से मृत्यु हुई है वह भी तो विद्युत मंडल के ही कर्मचारी थे। ऊर्जा विभाग ने जिस तरह से मौतों का बंटवारा किया, है वो मानव अधिकारों के हनन की श्रेणी में आता है। वर्ष 1995 से 2012 के बीच के हजारों अनुकंपा आश्रित के परिवार के द्वारा धरना दिया गया था उनको अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है आज भी दर-दर भटक रहे हैं, जिन्हें प्रताड़ित करने में कंपनी कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इतना ही नहीं ऊर्जा विभाग के द्वारा भेदभाव करते हुई कोरोना काल में एक और आदेश निकाल कर फिर मौतों का बंटवारा कर दिया, जिसमें कहा गया कि कोरोना काल में जिन कर्मियों मृत्यु हुई है, उनके आश्रितों को नियमित नियुक्ति दी जावेगी और जिन कर्मियों की मृत्यु कोरोना काल में नहीं हुई है, उनके आश्रियों को संविदा के तहत अनुकंपा नियुक्ति दी जावेगी। 

संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, दशरथ शर्मा, धीरेंद्र रोहिताश, एस ख्याली राम, राम शंकर, शशि उपाध्याय, अमीन अंसारी, महेश पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, संदीप दीपंकर, विपतलाल विश्वकर्मा आदि के द्वारा मांग की गई है कि सभी अनुकंपा आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

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