Saturday, December 21, 2024
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विद्युत पोल पर टेलीकॉम कंपनियों के केबल बने जानलेवा, लाईनमैनों को सुधार कार्य में हो रही कठिनाई

बिजली कर्मियों के साथ कार्य के दौरान हो रही जानलेवा दुर्घटना से चिंतित मध्यप्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने एक संघ के प्रधान कार्यालय रामपुर में एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में बिजली कर्मियों के साथ घटित हो रही दुर्घटनाओं पर संघ पदाधिकारियों  चिंता व्यक्त की गई।

तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि संघ पदाधिकारियों ने बैठक में निर्णय लिया है कि इस संबंध में मध्य प्रदेश शासन के ऊर्जा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया जावे और इसके लिए संघ द्वारा विशेष कर्तव्य अधिकारी को एक पत्र लिखा गया है।

पत्र में विशेष कर्तव्य अधिकारी का ध्यानाकर्षण करते हुए हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों के विद्युत पोलों से बिजली उपभोक्ताओं की बिजली की आपूर्ति की जाति है, इन पोलों के माध्यम से उपभोक्ताओं तक निर्बाध और सुरक्षित बिजली की आपूर्ति करना कंपनी के प्रबंधन, अधिकारियों और लाइनमेनों का उत्तरदायित्व है, लेकिन थोड़े से राजस्व की प्राप्ति के लिए पोल पर चढ़कर फाल्ट सुधारने वाले लाइनमेनों की जान जोखिम में डालना अनुचित है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत पोल पर उपभोक्ताओं की विद्युत केबल से साथ टेलीकॉम कंपनियों की केबल भी खींच दी गई है, जिससे पोल पर मकड़ी के जाले की तरह केबल का जाल सा बन गया है, जिससे उपभोक्ता की शिकायत के निराकरण के लिए पोल पर चढ़कर सुधार करने वाले लाइनमेनों को काफी कठिनाई होती है और इस दौरान केबल के जाल में पैर फंसने के कारण जानलेवा हादसे भी घटित हो रहे हैं।

संघ ने अपने पत्र में विशेष कर्तव्य अधिकारी को लिखा है कि करंट का कार्य बहुत ही संवेदनशील और जोखिमपूर्ण होता है, इसलिए संघ ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि विद्युत केबल का अलावा टेलीकॉम या अन्य किसी भी तरह के केबल विद्युत पोल पर न लगाए जाएं।

इसके साथ ही संघ के अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, पवन यादव, संदीप यादव, दशरथ शर्मा, अमीन अंसारी, पीएन मिश्रा, विनोद दास आदि ने मांग की है कि केबल के जानलेवा जाल के बीच कार्य करने वाले आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों कैशलेस बीमा और 20 लाख का जोखिम बीमा किया जाए।

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