Wednesday, September 18, 2024
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बिजली आउटसोर्स कर्मियों के लिए 15 वर्षों में भी ऊर्जा विभाग नहीं बना पाया कोई नीति

जोखिम का कार्य करते हुए करंट लगने से आउटसोर्स कर्मियों की प्रतिदिन कहीं न कहीं मृत्यु हो रही है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 10 अप्रैल 2024 को मंडला में पोल पर चढ़कर 33*11 केवी लाइन में कार्य करते हुए करंट लगने से केवल 22 वर्ष की उम्र में अंकित मरावी की मृत्यु हो गई थी, इसी तरह प्रतिदिन आउटसोर्स कर्मियों की मृत्यु हो रही है या वे दिव्यांग हो रहे हैं। आउटसोर्स कर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को विद्युत कंपनी के द्वारा ₹4,00,000 दिया जाता है। क्या परिवार के जवान लड़के की मृत्यु की कीमत सिर्फ चार लाख रुपये है।

दूसरी तरफ देखें तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार के जोखिमपूर्ण और उच्च प्राथमिकता वाले विभागों के कर्मियों की सुरक्षा के लिए अनेक उपाय किए जाते हैं और अगर किसी कारणवश कर्मी की मृत्यु होती है तो उसके परिवार को अच्छा खासा मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। खासतौर पर देखें तो रेलवे कर्मी, आपातकालीन सेवाओं में पदस्थ कर्मी आदि को मुआवजे के दौर पर अच्छी खासी राशि और अनेक सुविधाएं प्रदान की जाती है।

इसी तरह सरकार को ये सोचना होगा कि क्या बिजली विभाग उच्च प्राथमिकता वाला विभाग नहीं है? आज रेलगाड़ियां भी बिजली से चल रही हैं। बड़े-बड़े उद्योग हों या कुटीर उद्योग, बिना बिजली कुछ नहीं चल सकता, यहां तक कि सरकार द्वारा जिस डिजीटल भारत की बात की जा रही है, उसके लिए सबसे जरूरी मोबाइल हैंडसेट भी बिना बिजली के महज एक खिलौना ही बन के रह जाए। आज कहीं भी अचानक बिजली गुल हो जाती है तो सब कुछ थम सा जाता है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण विभाग के कर्मचारी अगर मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं तो ये सरकार के लिए बड़े शर्म की बात है। विगत 15 वर्षों से मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों में कार्य करने वाले आउटसोर्स कर्मी, जिनकी संख्या लगभग 50,000 है, के लिए ऊर्जा विभाग तथा बिजली कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा कर्मी एवं उसके परिवार की सुरक्षा के लिए आज तक कोई भी नीति नहीं बनाई गई है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि संघ के नेतृत्व में 21 से 25 जनवरी 2023 तक 5 दिन हड़ताल कर मांग की गई थी कि आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जावे एवं कैशलेस स्वास्थ्य बीमा एवं 20 लाख का जीवन बीमा किया जावे मगर आज तक ऊर्जा विभाग एवं कंपनी प्रबंधनों के द्वारा न संविलियन किया गया और न ही उनके जीवन की सुरक्षा के लिए कोई नीति बनाई गई।

संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्य, राम केवल यादव, रतिपाल यादव, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, एसके शाक्य, जेके कोष्टा, पीएन मिश्रा, शिव राजपूत, शंकर यादव, पवन यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, अशोक पटेल आदि ने ऊर्जा विभाग एवं सभी बिजली कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि बिजली कंपनियों में कार्यरत 50,000 आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन एवं कैशलेस स्वास्थ्य बीमा एवं 20 लाख का जीवन बीमा किया जाए।

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