जबलपुर जिला प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों के खिलाफ मनमाने ढंग से फीस वसूली तथा किसी खास दुकान से किताबें और यूनिफार्म खरीदने दबाब बनाये जाने की प्राप्त शिकायतों पर आज खुली सुनवाई का एक और दौर संपन्न हुआ। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आज पाँच निजी स्कूलों के संबंध में प्राप्त शिकायतों और जाँच में मिली अनियमितताओं पर खुली सुनवाई की गई।
इन स्कूलों में विजय नगर स्थित जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, माउंट लिट्रा जी स्कूल, विज्डम वेली स्कूल, स्प्रिंग डे स्कूल और टीएफआरआई स्थित सेंट जोसफ स्कूल शामिल थे। इन स्कूलों के बारे में प्राप्त शिकायतों पर खुली सुनवाई कलेक्टर दीपक सक्सेना ने की। अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह भी इस दौरान मौजूद रहीं। निजी स्कूलों की प्रबंधन समिति से जुड़े प्रतिनिधि और अभिभावक भी खुली सुनवाई में उपस्थित रहे।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने खुली सुनवाई में साफ किया कि स्कूल प्रबंधन को अपनी गलतियों को समय रहते सुधार लेना होगा, अन्यथा उनके पास और भी विकल्प हैं। इसे सभी जानते भी हैं और पूर्व में ऐसे प्रकरणों में हुई कार्यवाही सभी के सामने है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिये कि प्रशासन को एफआईआर जैसे कदम उठाने पड़े। प्रशासन निजी स्कूलों को भी जाँच में पाई गई अनियमतताओं पर सभी के सामने अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दे रहा है।
खुली सुनवाई इसी पारदर्शी प्रक्रिया का हिस्सा है। यदि निजी स्कूल अपनी गलतियों को स्वीकार कर लेते हैं और समय रहते उन्हें सुधार लेते हैं तो यह छात्रों के साथ-साथ उनके हित में भी होगा। कलेक्टर ने सुनवाई में फीस वृद्धि से लेकर कॉपी-किताबों, यूनिफार्म के बारे में प्राप्त शिकायतों एवं जाँच प्रतिवेदन के बिंदुओं पर पांचों निजी स्कूलों के प्रबंधन से चर्चा की और उनका पक्ष सुना। खुली सुनवाई की शुरुआत जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की जॉच में सामने आई कमियों से की गई। इसके बाद शेष चारों निजी स्कूलों की जाँच में उजागर हुई अनियमिताओं को सामने रखा गया।
कलेक्टर ने खुली सुनवाई में पाँचों स्कूलों को नियमों और प्रावधानों के विरुद्ध की गई फीस वृद्धि पर दस्तावेजों सहित स्पष्टीकरण देने कहा। उन्होंने इन स्कूलों के प्रबंधन को पाठ्यक्रम में किताबें लागू करने की प्रक्रिया भी पूछी। दीपक सक्सेना साफ किया कि हर साल किताबें बदलना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। इससे स्कूल की छवि पर भी दाग लगते हैं, प्रकाशकों और किताब विक्रेताओं के साथ साठ-गांठ का संदेह पैदा होता है तथा अभिभावकों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ता है।
उन्होंने जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जहाँ हर वर्ष अधिकांश किताबें बदल दी जाती हैं का उल्लेख करते हुये कहा कि पाठ्यक्रम चयन समिति द्वारा एक वर्ष किसी किताब को चुना जाता है तो उसमें ऐसी क्या खामी आ जाती है जो अगले साल ही उसे हटा दिया जाता है। उन्होंने इसे अनुचित बताते हुये कहा कि इससे बेहतर यह है कि किताबें बदलने की अपेक्षा उस समिति को बदल दिया जाये जो हर वर्ष नई-नई किताबें पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश करती है।
दीपक सक्सेना ने किताबों की चयन समिति में शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और अभिभावकों को शामिल करने की सलाह देते हुये कहा कि किताबों के चयन में कंटेंट और कीमत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। कलेक्टर ने जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा लगभग हर वर्ष बीएमडब्ल्यू जैसी लक्जरी कारें खरीदने तथा मैनेजमेंट एवं स्टॉफ के लिये दुबई की ट्रिप आयोजित किये जाने को भी अनुचित बताया तथा स्कूल प्रबंधन से कहा कि बच्चों से वसूली गई फीस से क्या ये करना जायज है।
खुली सुनवाई में निजी स्कूलों की जाँच के रखे गये प्रतिवेदन में सामने आया कि पांचों स्कूलों द्वारा नियमों और प्रावधानों के विपरीत जाकर और जिला समिति को सूचित किये बिना अथवा अनुमति प्राप्त किये बिना फीस बढ़ाई गई है। इनमें जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा लगभग 25 करोड़ 21 लाख रुपये, माउंट लिट्रा स्कूल द्वारा लगभग 3 करोड़ 39 लाख रुपये, स्प्रिंग डे स्कूल द्वारा लगभग 2 करोड़ 95 लाख रुपये, सेंट जोसफ स्कूल टीएफआईआर द्वारा लगभग 9 करोड़ 41 लाख रुपये तथा विज्डम वेली स्कूल द्वारा लगभग 10 करोड़ रुपये फीस के तौर पर अधिक वसूले गये हैं।
खुली सुनवाई में इन स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट एवं आय-व्यय का व्यौरा भी रखा गया। कलेक्टर ने अभिभावकों की शिकायतें भी सुनी तथा उनका पक्ष जाना। खुली सुनवाई में जिला कोषालय अधिकारी सुश्री विनायिका लाकरा, जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी, जिला परियोजना समन्वयक योगेश शर्मा, उप संचालक कोष एवं लेखा साकेत जैन भी मौजूद थे।