मुख्यमंत्री ने माना बिजली कंपनियों में है कर्मियों की कमी, MPEBTKS ने कहा 15 वर्षों में नहीं हुई एक भी नियमित भर्ती

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में कर्मियों की बेहद कमी है और इस बात को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी विगत दिनों एक बैठक माना है और इन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि स्टाफ की कमी के कारण विद्युत व्यवधान नहीं आने चाहिए। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के द्वारा 31 अगस्त 2023 को भोपाल में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुख्य सचिव इकबाल सिंह, अपर सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास अशोक वर्णवाल प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारी की बैठक ली गई।

बैठक में उन्होंने कृषि से बिजली और पानी के विषय पर चर्चा की और उन्होंने कहा कि निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए, कहीं भी स्टाफ के अभाव में बिजली आपूर्ति प्रभावित न हो। तकनीकी कर्मचारी संघ मुख्यमंत्री जी का ध्यानाकर्षण कर कहना चाहता है कि विगत 15 वर्षों से नियमित कर्मचारियों की भर्ती नहीं करने के कारण कर्मचारियों का अभाव होने की वजह से उपभोक्ता अत्यधिक परेशान हैं। नियमित कर्मचारी 15 वर्षों से लगातार सेवानिवृत हो रहे हैं, जिससे इनकी संख्या बेहद कम हो गई है। नियमित बिजली कर्मचारियों की भर्ती प्रशासनिक अधिकारियों को करना था, जिनको करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने का अधिकार होता है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरा विद्युत तंत्र ठेकेदारों के हवाले कर दिया और विद्युत तंत्र को न जानने वाले ठेकेदारों ने भी पैसा बचाने के चक्कर में आउटसोर्स कर्मियों की नियमविरुद्ध भर्ती की और अब उनका जमकर शोषण किया जा रहा है। विद्युत तंत्र को चलायमान रखने के लिए बिजली कंपनियों में 50 हजार आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती तो कर ली गई, लेकिन नियमों के विरुद्ध जमीनी अधिकारियों के द्वारा आउटसोर्स कर्मियों पर दबाव डालकर और डरा-धमका कर पोल पर चढ़ा कर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराया जाने लगा, जिससे सैकड़ो की तादाद में आउटसोर्स कर्मियों की मृत्यु हो गई। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा आज तक आउटसोर्स कर्मियों एवं उनके परिवार की सुरक्षा के लिए कोई भी नीति नहीं बनाई गई, न ही उनका 20 लाख का जीवन बीमा किया गया और न ही उन्हें कैशलेस मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा प्रदान की गई।

संघ के मोहन दुबे, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, लाखन सिंह राजपूत, अमीन अंसारी, इंद्रपाल सिंह, संदीप दीपंकर, विपतलाल विश्वकर्मा, राजेश, पीके मिश्रा, विनोद दास, अशोक पटेल आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली देना है तो विद्युत कंपनियों में कार्य कर रहे 50 हजार आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन करते हुए उनके लिए मानव संसाधन नीति बनाकर उनका एवं उनके परिवार का जीवन सुरक्षित कर ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर भ्रष्टाचारियों से मुक्त किया जावे।