जबलपुर (हि.स.)। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म एवं हत्या के विरोध में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने पर जबलपुर हाई कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई है। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ लगी याचिका पर शनिवार को सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने तल्ख टिप्पणी करते हुए जूनियर डॉक्टरों से तत्काल प्रभाव से हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटने का आदेश दिया है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि जूनियर डॉक्टर को तुरंत हड़ताल खत्म करके काम पर वापस आना होगा। यदि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह ठीक नहीं होगा। जस्टिस सचदेवा ने कहा कि कोलकाता में जो घटना घटी है, उस पर पूरा समाज चिंतित है, लेकिन उसका समाधान हड़ताल नहीं है। कोई भी मरीज हड़ताल के खत्म होने का इंतजार नहीं करेगा। यदि हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह बहुत चिंता की बात होगी। वह जिस मुद्दे को लेकर हड़ताल पर गए हैं, वह समस्या केवल मध्य प्रदेश की नहीं है बल्कि पूरे देश की और पूरे समाज की है। पूरा समाज इस बात के लिए चिंतित है लेकिन इसके लिए हड़ताल करना सही तरीका नहीं है।
नौ अगस्त को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के विरोध में पिछले आठ दिनों से चिकित्सक आक्रोशित हैं। इसमें कि सबसे ज्यादा घटना का विरोध करते हुए मप्र में भी सभी सरकारी अस्पतालों के जूनियर चिकित्सकों ने गुरुवार से काम बंद कर दिया था, अब निजी चिकित्सक भी आज से उनका पूरी तरह साथ देने आगे आए थे। सिर्फ राज्य के जिला चिकित्सालयों में जूनियर डॉक्टर्स इमरजेंसी केस ही देखने सामने आए थे। जिसमें कि डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाओं पर शनिवार को सुनवाई हुई। इसमें इस हड़ताल को चुनौती दी गई थी और जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे खत्म करने की मांग की गई थी। इस पर आज एक्टिंग चीफ जस्टिस सचदेवा ने सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस कहना रहा है कि जूनियर डॉक्टर्स पहले काम पर लौंटे, उनकी सभी बातें सुनी जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नोटिस भेजा था और पूछा था कि बिना अनुमति डॉक्टर हड़ताल पर कैसे गए? सभी हड़ताली चिकित्सकों से 24 घंटे में जवाब मांगा गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से पूर्व में इंदरजीत सिंह शेरू की तरफ से दायर याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा फरवरी 2023 के आदेश का हवाला देते हुए डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया गया था। हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासकीय व स्व शासकीय चिकित्सा महासंघ व मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन को निर्देशित किया था कि वह हाई कोर्ट में बिना सूचित किए सांकेतिक हड़ताल तक नहीं करेंगे। अब इस संबंध में आगे की सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शनिवार को सुबह 06 बजे से रविवार सुबह 06 बजे तक पूरे 24 घंटे के लिए बुलाए गए बंद की घोषणा का असर मध्य प्रदेश में भी हर जिले में देखने को मिला है। भोपाल और इंदौर में शनिवार से निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। सिर्फ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं चालू थीं। इसका सबसे अधिक असर पैथोलॉजी सेवाओं पर देखने को मिल रहा है। जांच नहीं हो पाने से मरीज के लिए दवाओं का सही निर्धारण नहीं हो पा रहा है। इस हड़ताल को मेडिकल कॉलेज के डीन अनुचित करार दे रहे हैं। भोपाल समेत प्राय: सभी चिकित्सकों के अवकाश निरस्त करते हुए उन्हें चौबीसों घंटे ड्यूटी पर तैनात होने के लिए कहा है।
इस संबंध में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन सिंह ने साफ कहा गया है कि सभी डॉक्टर्स की छुटि्टयां निरस्त हैं। उन्हें चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहना होगा। इसमें मेडिकल कॉलेज के सभी शिक्षकों से कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी सभी सेवाओं को जूनियर चिकित्सकों के अभाव में देखेंगे। इसके साथ ही आवश्यकता को देखते हुए मेडिकल इंटर्न तैनात करने की बात भी कही गई थी।