Monday, September 23, 2024
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श्रम कानूनों में बदलाव, कंपनीकरण व न्यू पेंशन के विरोध में विद्युत फेडरेशन ने मनाया काला दिवस

श्रमिकों, कार्मिकों के शोषण को बढ़ावा देने, प्रशासन, प्रबंधन और उघोगपतियों के हित संवर्धन के लिए केन्द्र सरकार पुराने सभी क़ानून खत्म कर चार नये कानून लें आई है। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर चारों काली श्रम संहिताए रद्द करने की मांग पर राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाया गया। इसी आव्हान पर मध्यप्रदेश विधुत कर्मचारी संघ फेडरेशन इंटक ने आज बिजली आफिस के समक्ष वृहद स्तर पर काला दिवस मनाया।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश विधुत कर्मचारी संघ फेडरेशन इंटक के महामंत्री और मध्यप्रदेश इंटक के उपाध्यक्ष राकेश डीपी पाठक, फेडरेशन के वरिष्ठ नेता यूके पाठक, आरएस परिहार, दिनेश दुबे, वृजमोहन विश्वकर्मा, दिलीप पाठक, मनोज पाठक, दयाशंकर, दिलीप विश्वकर्मा, मंजूर खान, सीएस पालीवाल, राम अनुग्रह शर्मा, राजेश पटेल, आशीष नाथ, विनोद, सुनील अहिरवार, ललित विश्वकर्मा, रामचंद्र खत्री, मनीष उपाध्याय, मनीष गढेवाल, दिनेश श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में फेडरेशन के साथी गण उपस्थित थे।

फेडरेशन महामंत्री एवं इंटक उपाध्यक्ष राकेश डीपी पाठक ने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से श्रमिकों, कार्मिकों की सुरक्षा, सुविधा और समस्याओं के समाधान होना मुश्किल हो जाएगा, बल्कि प्रंबधन की मनमानी चलने लगेगी। श्रम संगठनों का रजिस्ट्रेशन, संचालन और श्रमिकों, कार्मिकों के हित संवर्धन और प्रगति के लिए मांग करना, आंदोलन, सत्याग्रह करना मुश्किल हो जाएगा। सब प्रबंधन, प्रशासन और उघोगपतियो के रहमो-करम पर निर्भर हो जाएगा।

राकेश डीपी पाठक ने कहा कि न्यू पेंशन की जगह पुरानी पेंशन ही लागू होना चाहिए। बिजली सेक्टर आज भी कंपनीकरण का दुष्परिणाम भोग रहा है। आज कर्मचारियों, पेंशनर्स के साथ उपभोक्ता भी परेशान हैं। अतः कंपनीकरण बंद होना चाहिए। राकेश पाठक ने कहा कि पहले सरकार उघोगपतियों के साथ ही श्रमिकों, कार्मिकों के हितों की रक्षा और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखकर निर्णय लेती थी, किन्तु अब सिर्फ उघोगपतियो के हित संवर्धन का ध्यान रखतीं हैं।

फेडरेशन के वरिष्ठ नेता यूके पाठक ने अपने सारगर्भित उद्वोधन में इनका विरोध करते हुए कहा कि यह कानून रद्द होना चाहिए। हम सबको एक साथ मिलकर आवाज बुलंद करना होगी। फेडरेशन के जोनल सचिव आरएस परिहार ने काला दिवस क्यों मनाना पड़ रहा है, इस पर विस्तृत तथ्यात्मक जानकारी देते हुए कहा कि आज यदि इनका विरोध नहीं किया गया तो श्रमिकों, कार्मिकों का जहां शोषण होगा वहीं उनकी न्यायोचित मांगों, समस्याओं का समाधान होना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले श्रमिको की सुनी जाती थी अब सिर्फ पूंजीपतियों की। संविदा, आउट सोर्स कर्मचारियों की परेशानी दूर करने और अधिकार दिलाने हरसंभव प्रयास करने कहा। 

प्रांतीय संगठन मंत्री दिनेश दुबे ने इन चारों कानून से उत्पन्न होने वाली परेशानी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि हम अभी भी जाग्रत नहीं हुएं तो हम भविष्य में यह प्रदर्शन, सत्याग्रह भी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इन नये कानून के माध्यम से सिर्फ उघोगपतियो का भला करना चाहिती है। वृजमोहन विश्वकर्मा ने कहा कि हम आपके लिए संघर्ष कर रहे हैं तो आपको भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर शामिल होना चाहिए। सभी श्रेणी के साथी एक साथ मिलकर आवाज उठाएंगे तो परिणाम भी सफल होगा। कार्यक्रम का संचालन दिनेश दुबे और आभार प्रदर्शन मनोज पाठक ने किया। उपस्थित सभी साथियों का स्वागत दिलीप पाठक और दयाशंकर ने किया।

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