मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा में 54 प्रतिशत और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में 23 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि

मध्य प्रदेश में पिछले 10 साल में नवकरणीय क्षमता में 11 गुना वृद्धि हुई है। औसतन प्रतिवर्ष सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 54 प्रतिशत और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में सौर ऊर्जा की वृहद परियोजनाएँ ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर योजना, आगर, शाजापुर, नीमच आदि अगले वर्ष से सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू कर देंगी।

वहीं छतरपुर और मुरैना सौर परियोजना हायब्रिड और स्टोरेज के साथ विकसित की जायेंगी, जो वर्ष 2024 तक उत्पादन शुरू कर देंगी। प्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई विभागीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में ये जानकारी दी गई।

समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि किसानों को कुसुम ए, बी, सी और नवकरणीय ऊर्जा सहित अन्य योजनाओं का भरपूर लाभ दिलाने के लिये जिला स्तर पर जन-प्रतिनिधियों की कार्यशाला आयोजित की जाये। इनमें जनपद पंचायत के सदस्य भी आमंत्रित होंगे। कुसुम-ए योजना का सरलीकरण कर “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है।

नई प्रक्रिया में 12 मेगावॉट की परियोजनाओं के प्रस्ताव मिल चुके हैं। योजना में 110 मेगावॉट के पात्र किसानों और विकासकों की परियोजनाएँ चयनित की जाकर 64 मेगावॉट के अनुबंध हस्ताक्षरित हो चुके हैं, शेष अनुबंध निष्पादन प्रक्रिया में हैं। कुसुम-बी में वर्ष 2021-22 में किसानों के खेतों पर 6 हजार 787 पम्प स्थापित किये जा चुके हैं। कुसुम-सी में 1250 मेगावॉट का लक्ष्य निर्धारित है। किसान स्वयं या विकासक के माध्यम से अपनी जमीन पर सोलर पैनल लगा कर उत्पादित ऊर्जा शासन को बेच कर आय अर्जित कर सकते हैं।

बैठक में साँची ग्रीन सिटी, ऊर्जा साक्षरता अभियान, नवकरणीय ऊर्जा नीति, वर्ष 2027 तक सभी सरकारी भवनों को हरित ऊर्जा से संचालित करने और देश एवं प्रदेश को हरित ऊर्जा में आत्म-निर्भर बनाने में मध्यप्रदेश की अग्रणी भूमिका और इसके उत्तरोत्तर विकास पर भी चर्चा हुई।