एमपी में ब्लैकआउट के लिए बिजली कंपनी प्रबंधन होगा जिम्मेदार, पीएस एनर्जी की वादाखिलाफी पर कर्मचारी आक्रोशित

मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा 5 जनवरी को 15 दिनों के भीतर बिजली कर्मियों की तीन मांगों के सकारात्मक समाधान का आश्वासन दिया गया था, किंतु शोषित बिजली कर्मचारियों से किए गए वादे को पूरा ना करने की वजह से 21 जनवरी से बिजली कर्मियों के द्वारा अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया है कि करंट लगने की वजह से सैकड़ों आउटसोर्स एवं संविदा कर्मियों की मृत्यु हो गई है, उनके परिवार के आश्रितों को आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है। उनके लिए 20 लाख का बीमा नहीं किया गया है। उनको कैशलेस की सुविधा नहीं दी गई है। आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन कर उनके लिए मानव संसाधन नीति नहीं बनाई गई। वहीं भारतीय जनता पार्टी के द्वारा जन संकल्प 2013 में स्पष्ट लिखा था कि सरकार बनते ही संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाएगा, किंतु 9 वर्ष बीतने के बाद भी आज तक नियमितीकरण नहीं किया गया है। नियमित कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट नहीं दिया जा रहा है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कर्मियों तीन मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल जारी है। आज 52 जिलों के साथ आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। जबलपुर में बिजली कंपनियों के मुख्यालय शक्ति भवन बैरियर के समक्ष लगभग तीन हजार कर्मचारी आंदोलन में शामिल हुए।

संघ के शंभू नाथ सिंह हरेंद्र श्रीवास्तव, असलम खान, रतिपाल यादव, रामकेवल यादव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, आजाद सकवार सुरेंद्र मिश्रा, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, सुरेंद्र मेश्राम, राजेश शरण आदि ने आक्रोश जताते हुए कहा है कि हमारी तीन मांग जब तक पूरी नहीं हो जाती, तब तक हम अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन करते रहेंगे। इस दौरान अगर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार काअवरोध आता है तो इसके लिए मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों का प्रबंधन एवं मध्यप्रदेश शासन जिम्मेदार होगा।