बिजली कर्मियों को बंधुआ मजदूर समझने वाले अधिकारियों के कारण धराशायी हुआ विद्युत सिस्टम

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत विभाग के मैदानी अधिकारियों ने आउटसोर्स कर्मियों, संविदा कर्मियों एवं नियमित कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर से भी बदतर बना दिया है। संघ के द्वारा आयोजित एक बैठक में पदाधिकारियों ने आक्रोश जताते हुए मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनियों के प्रबंध संचालकों का ध्यानाकर्षण करते हुए कहा है कि कर्मचारियों का शोषण बंद किया जाए।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनियों में 20 वर्षों से नियमित भर्ती नहीं होने से कर्मचारियों की अत्यधिक कमी हो चुकी है, इस कमी को पूरा करने के लिए 45,000 आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती की गई है। जबकि विद्युत तंत्र को सुचारू और निर्बाध रूप से चलायमान रखने के लिए नियमित पदों पर कर्मचारियों की भर्ती की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं करने के कारण सिस्टम में न सहायक लाइनमैन है और न लाइनमैन है। न लाइन सुपरवाइजर हैं और न ही लाइन इंस्पेक्टर हैं, जिसके चलते सारा विद्युत तंत्र अस्त-व्यस्त हो चुका है, यदि जल्दी ही नियमित पदों पर भर्ती नहीं की गई तो पूरा सिस्टम धराशायी हो जायेगा।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि नियमित कर्मचारी विद्युत तंत्र को अच्छे से चलायमान रखते थे एवं सभी प्रकार से मेंटेनेंस करते थे, जिसकी वजह से कभी ट्रांसफार्मर नहीं जला करते थे एवं गुणवत्ता के आधार पर उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि का नारा सही साबित होता था। लेकिन आज सारा सिस्टम तहस-नहस हो चुका है। क्योंकि इसका प्रमुख कारण है मैदानी अधिकारियों के द्वारा आउटसोर्स कर्मियों, संविदा कर्मियों एवं नियमित कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।

मैदानी अधिकारियों के द्वारा कर्मचारियों से समय से अधिक कार्य लिया जा रहा है, अवकाश नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वजह से कर्मचारियों का मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। कर्मचारी परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं। अधिकारी बगैर लिखित आदेश के सुबह 5 बजे उपभोक्ताओं की बिजली कटवाते हैं। कोई अप्रिय घटना होने पर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। 33 अपान 11 केवी सब-स्टेशन में परीक्षण सहायकों की अत्यधिक कमी होने की वजह से तीनों वितरण कंपनियों में नियमित पदों पर लगभग 1000 परीक्षण सहायकों की भर्ती वर्ष 2013 में की गई थी, लेकिन आज की स्थिति में परीक्षण सहायकों से स्टेशन ऑपरेटर का कार्य कराते हुए बाबू बना दिया गया है। परीक्षण सहायक या मीटर रीडिंग ले रहे हैं अथवा राजस्व वसूली कर रहे हैं, जबकि जिस कार्य के लिए परीक्षण सहायकों की भर्ती की गई थी वही कार्य कराना चाहिए।

संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, अमीन अंसारी, राकेश नामदेव, केएन गर्ग, घनश्याम चौरसिया, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, मुकेश पटेल, इंद्रपाल सिंह, उत्तम पटेल आदि ने सभी कंपनियों के प्रबंधन से कहा है कि मैदानी अधिकारियों को कर्मचारियों का शोषण न करने के निर्देश जारी करते हुए मानवीयता से पेश आने और अतिशीघ्र नियमित कर्मियों की भर्ती करने की मांग की है।