Saturday, April 27, 2024
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एमपी में पहली बार ट्रांसमिशन कंपनी ने लगाये 16 करोड़ के अत्याधुनिक तकनीक के कंडक्टर

मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने भोपाल शहर की पारेषण प्रणाली को मजबूती देने अत्याधुनिक तकनीक के कंडक्टर का उपयोग प्रदेश के किसी महानगर में पहली बार किया है। ट्रांसमिशन कंपनी ने 400 केवी सब-स्टेशन सुखी सेवनिया भोपाल से गोविंदपुरा स्थित 220 केवी सब-स्टेशन आने वाले 220 केवी भोपाल फीडर के दोनों सर्किट में लगे जेबरा कंडक्टर को नई तकनीक के अधिक क्षमता के एचटीएलएस (हाई टेंपरेचर लो सेग) कंडक्टर से बदलकर भोपाल शहर की पारेषण प्रणाली को मजबूती और विश्वसनीयता प्रदान की है करीब 12.2 किलोमीटर लंबे इस फीडर के दोनों सर्किट में तकरीबन 25 किलोमीटर का कंडक्टर बदला गया।

अधिक लोड तथा अत्याधिक गर्मी में वातावरण के अधिक तापमान के कारण परंपरागत उपयोग में आने वाले कंडक्टर की लोड वहन करने की क्षमता में कमी आती है, जिसके कारण भोपाल जैसे महत्वपूर्ण शहर के लिए पर्याप्त मात्रा में विद्युत उपलब्ध रहने के बावजूद गर्मी के दिनों में ट्रांसमिशन कंपनी को लोड मैनेज करने में दिक्कत होती थी। भोपाल की इस समस्या का हल निकालने के लिए मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी बहुत दिनों से प्रयासरत थी

मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पास राजधानी भोपाल जैसे महत्वपूर्ण शहर में इस समस्या से निपटने के दो ही तरीके थे पहला नए सब-स्टेशनों और नई लाइनों की स्थापना या फिर दूसरा नई तकनीक का इस्तेमाल कर पुरानी लाइनों के कन्डक्टर की क्षमतावृद्धि। भोपाल जैसे शहर में सब-स्टेशनों और लाइनों की स्थापना के लिए भूमि की  सुगम उपलब्धता न होने के कारण ट्रांसमिशन कंपनी ने नई तकनीक अपनाई जिसमें बिजली पारेषण में उपयोग आने वाले परंपरागत कंडक्टर के स्थान पर अत्याधुनिक तकनीक के एचटीएलएस (हाई टेंपरेचर लो सेग) कंडक्टर उपयोग करने का निर्णय लिया गया।

विद्युत भार वहन करने की डेढ़ गुनी क्षमता है नए कंडक्टर में

एचटीएलएस (हाई टेंपरेचर लो सेग) कंडक्टर में विद्युत भार सहने की लगभग डेढ़ गुनी क्षमता है, जहां परंपरागत कंडक्टर में 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर 260 मेगावाट भार वहन करने की क्षमता होती है, वहीं इसमें 120 डिग्री सेंटीग्रेड तक 400 मेगावाट तक विद्युत पारेषण हो सकता है।

लोड बढ़ने पर भी पारेषण हानि रहेगी न्यूनतम

इस कंडक्टर के उपयोग से तापमान तथा लोड बढ़ने के कारण होने वाली पारेषण हानि में भी कमी आयेगी जिससे भोपाल शहर को उच्च गुणवत्ता की सतत् बिजली आपूर्ति करने में सहायता मिलेगी।

180 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सहने की क्षमता

पहली बार भोपाल महानगर में इस्तेमाल किए गए इन कंडक्टर में 180 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहने की क्षमता है जबकि परंपरागत कंडक्टर में लगभग 90 डिग्री सेल्सियस तापमान को ही वहन करने की क्षमता रहती है। 220 केवी भोपाल की इन दो सर्किटों में कंडक्टर बदलने का यह कार्य 15.78 करोड़ की लागत से मात्र साढ़े तीन महीने के कम समय में पूरा हुआ। यह लाइनें शहर की घनी आबादी वाले औद्योगिक क्षेत्र गोविंदपुरा जैसे स्थान से निकली है जहां सुधार या बदलाव कार्य करना हमेशा बहुत कठिन होता है। इस कार्य का अधिकांश हिस्सा बारिश के मौसम में ही पूरा किया गया, जिसमें रेलवे क्रॉसिंग मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की 33 केवी, 11 केवी तथा एलटी लाइनों की क्रॉसिंग थी।

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