भोलेनाथ करते हैं सृष्टि का निर्माण, पालन और अंत

ज्ञान का प्रकाश संसार में फैलाने के लिए भगवान श्री गणेश जी का अवतार हुआ है, प्रभु शिव श्रष्टि का आधार है, सृष्टि का निर्माण, पालन और अंत उन्हीं के द्वारा निर्धारित है, कजरवारा राम मंदिर में चल रहे शिव महापुराण कथा में बनारस से पधारे गुरु महाराज प्रमेश मिश्र ने उक्त उद्गार व्यक्त किए।

महाराज श्री ने कहा भोलेनाथ निश्चल भक्ति करने वालों के लिए भोले है, वहीं छ्ल से भक्ति करने वाले के लिए भले से संहार करते है। प्रभु शिव जी की भक्ति से मां पार्वती जी, ज्ञान दाता गणेश जी, कार्तिक, रिद्धि, सिद्धि, धर्म रूपी नंदी जी की पूजा हो जाती है। भोले नाथ जी की पूजा के अंत में बकरे की आवाज से ध्वनि करने पर अधिक प्रसन्न होते है। प्रत्येक यज्ञ का शेष भाग भोले नाथ जी का होता है।

सुबह 7 बजे से 10 बजे तक रुद्री, पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर रुद्राभिषेक किया जाता है, पूजन पश्चात तीन बजे मां गौरीघाट में विसर्जन किया जाता है। रुद्री निर्माण में सभी भक्तों को अवसर प्राप्त होता है। कथा में श्रीमति ओमकारी, संतोषी बाई, अनुराधा, सरला, बंदना, ज्योति, सुमन, अनीता, अलका, मनीसा, बबीता, प्रीति, सरिता, सोनू, मेनका, संदीपा, रेनू, सविता, मोनिका, सपना, अवंतिका, टीना, प्रीति, सोनिका, राशि, प्रियंका, हिमांशु, भोलू उपाध्याय ने भक्तों से कथा स्थल में पहुंचकर धर्म लाभ अर्जित करने का आग्रह किया है।