भोलेनाथ की भक्ति से प्राप्त हुई थी शुक्राचार्य को मृत संजीवनी विद्या

भक्ति में बहुत शक्ति होती है, हनुमान जी भोले नाथ का अवतार है, मनवंतरों में देवता बदलते है, जो आनंद दे वही नंदी है, भोलेनाथ जी के पूजन के साथ नंदी की पूजन जरूर करना चाहिए। उक्त विचार बनारस से कजरवारा पधारे गुरु महाराज प्रमेश मिश्र ने व्यक्त किए।

पंडित सचिन चौबे, हिमांशु महराज ने मंत्रोचारण कर विधि विधान से पूजन करवाया, यजमान सचिन, सपना उपाध्याय ने सुबह रुद्राभिषेक किया। शुक्राचार्य को भोलेनाथ जी की घोर तपस्या करने से ही मृत संजीवनी विद्या की प्राप्ति हुई है। अष्ट धातु मूर्ति की स्तुति करनी चाहिए, इससे प्रभु की महान कृपा होती है। विद्या, धन, वैभव और निरोगी काया प्राप्त होती है, ब्रह्मणों से द्वेष नहीं रखना चाहिए, द्वेष रखने से हानि होती है।

भोलेनाथ जी की शरण में जाने से कठिन से कठिन कष्टों का शमन हो जाता है, असफलता दूर होती है, सफलता मिलती है, इसमें संशय नहीं है, नर्मदा तट निवासी राजन के यहां पुत्र नही था, पुत्र हुआ उसकी मृत्यु बिजली गिरने से होनी थी, उन्होंने काशी में भोलेनाथ जी की तपस्या की, जिससे आघात से होने वाली मृत्यु से मुक्ति प्राप्त हो गई। 

जीव जब तक धर्म को पकडे रहेगा तब तक उसका नाश नहीं होता है, अधर्म का मार्ग व्यक्ति को रसातल में पहुंचा देता है, धन का उपयोग परमार्थ में भी लगाना चाहिए। पतिव्रत धर्म महान होता है, गंडकी नदी में शालिग्राम पाए जाते हैं, तुलसी के पत्ते उन्हीं पर चढ़ाए जाते हैं।

विधायक अशोक ईश्वर दास रोहाणी, कंधी लाल, दुर्गा प्रसाद, सुरेश, राकेश, मुकेश, शैलेश, सतीश, सोनू, दिनेश, अटल उपाध्याय, मनोज तिवारी, पार्षद कृष्ण दास, विनोद, सुनील, नरेंद्र, प्रहलाद, कमल, संदीप, पुरषोत्तम, सिद्धार्थ उपाध्याय, श्रीकांत गौतम, कृष्ण कुमार बडगैया ने भक्तों से शिव पुराण में पहुंचकर धर्म लाभ अर्जित करने का आग्रह किया है।