एक नाम-एक पद लेकिन वेतन अलग-अलग, एमपी में पांच वर्षों से अटकी है कल्याण समिति की अनुशंसा

मध्यप्रदेश में लिपिक पद पर पदस्थ कर्मचारियों के वेतन में विसंगतियों के चलते अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि राजधानी भोपाल में मंत्रालय में पदस्थ लिपिकों और प्रदेश के अन्य जिलों में स्थित विभिन्न विभागों में पदस्थ लिपिकों के वेतन में भारी अंतर है।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिला संरक्षक योगेंद्र दुबे, जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने जारी विज्ञप्ति में बताया गया है की रमेश चंद्र शर्मा अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति मंत्रालय भोपाल की अनुसंसा के अनुसार पांच वर्ष आठ माह पश्चात भी सरकार द्वारा लिपिक की वेतन विसंगति में सुधार नहीं किया गया है।

आज प्रदेश के लिपिकों का भारी शोषण हो रहा है लिपिकों को रमेश चंद्र शर्मा समिति की अनुशंसा के पश्चात भी 2400/- ग्रेड-पे नहीं दिया जा रहा है, रमेश चन्द्र शर्मा अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 1186, 1189 / 2017 दिनांक 14 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, मुख्य सचिव, एसके मिश्रा, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मध्य प्रदेश भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार  लिपिकों को 1900 के स्थान पर 2400 का ग्रेड पे दिया जाना है।

मंत्रालय के लिपिकों और मैदानी लिपिकों को अलग-अलग वेतन देकर समान कार्य का सामान वेतन नियम का उलंघन किया जा रहा है, मंत्रालय के लिपिक को प्रथम समयमान 3200, सभी कार्यालयों के लिपिकों को (मैदानी लिपिक) कह कर  2400 ग्रेड पे देकर उनका शोषण किया जा रहा है। इसी तरह मध्य प्रदेश शासन मंत्रालय के लिपिक को दूसरा समयमान वेतनमान (9300–34800 + ग्रेड पे 3600) वही मैदानी लिपिकों को 2800 दिया जा रहा है।

समिति द्वारा सरकार को जिस तारीख को रिपोर्ट सौंपी गई है उस तारीख से अनुसंसाओं को लागू किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिला जबलपुर अध्यक्ष अटल उपाध्याय, बृजेश मिश्रा, योगेंद्र मिश्रा, अभितेज त्रिपाठी, अर्जुन सोमवंसी, रवि बांगड, पीएल गौतम, दुर्गेश पाण्डे, संदीप नेमा ने लिपिकों पर हो रहे अन्याय को तत्काल रोकने तथा लिपिकों को मंत्रालय के लिपिकों के समान सभी लाभ देने की मांग की है।