एमपी में खत्म की जाए आउटसोर्स प्रथा: बड़े आंदोलन की तैयारी में प्रदेश के लाखों कर्मचारी

मध्य प्रदेश के कर्मचारियों की 23 सूत्रीय मांगों के निराकरण करवाने के लिए लगातार सरकार से मांग करने के पश्चात भी सार्थक आदेश जारी नहीं किए जा रहे है। आक्रोशित अधिकारियों और कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार को नोटिस देकर प्रदेश स्तर पर आंदोलन की घोषणा कर दी है। आगामी चरणों में भोपाल में प्रदर्शन, आंदोलन किया जाएगा। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे एवं जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के नाम का ज्ञापन तहसीलदार स्वाति सूर्या को सौंपा गया।

ज्ञापन में मांग की गई कि पुरानी पेंशन योजना पुनः लागू करने, पदोन्नतियां तत्काल करने, केंद्र के समान महंगाई भत्ता, वाहन भत्ता देने, रुका हुआ एरियर्स, लिपिक संवर्ग को मंत्रालय के समान समयमान वेतनमान देने, नए शिक्षा संवर्ग (राज्य शिक्षा सेवा) में नियुक्त अध्यापक संवर्ग को नियुक्ति के स्थान पर संविलियन के आदेश जारी कर सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति (शिक्षा कमी, संविदा शिक्षक, गुरुजी) के पद पर नियुक्ति के दिनांक से की जावे, दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी कर्मचारियों को विभाग में रिक्त विभिन्न पदों के विरुद्ध नियमितीकरण करने के उपरांत शेष पदों पर सीधी भर्ती की जावे।

इसके साथ ही विभागाध्यक्ष को अपने विभाग में भर्ती और नियमितीकरण के अधिकार दिए जावे, तृतीय श्रेणी व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आउटसोर्स से भर्ती पर रोक लगायी जाए, कार्यभारित कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण का लाभ दिया जाये, समयपालों को नियमित स्थापना में किया जाए, योग्यता के अनुसार कार्य दिया जावे, सहायक शिक्षक, शिक्षक एवं हेड मास्टर को समयमान वेतनमान के आदेश के उपरांत वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर पदोन्नति एवं पदनाम दिया जावे, ग्रेड पे में सुधार किया जाए एवं 300 अर्जित अवकाश दिवस का नकदीकरण के आदेश किया जाए।

अन्य मांगों में अधिकारियों कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मंत्री परिषद के आदेश 4 अप्रैल 2020 के संदर्भ में किया जावे, प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों सहित निगम मंडल में भी सातवें वेतनमान का लाभ दिया जावे, भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ सरकार की भांति मप्र के वे कर्मचारी जो पांचवे वेतनमान में जनवरी से 30 जून के मध्य वेतनवृद्धि प्राप्त करते थे, उन्हे एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिया जावे, पंचायत सचिव एवं स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जावे, प्रदेश के पटवारियों का ग्रेड पे 2800 रुपए किया जावे।

वहीं वन विभाग के कर्मचारियों को बिना जांच के अपराध प्रकरण में कोई भी गिरफ्तारी नहीं किया जावे, स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों की लंबित मांगो का शीघ्र निराकरण किया जावे, वाहन चालकों की नियमित भर्ती की जावे एवं पद नाम परिवर्तित कर ठेका प्रथा पर पूर्णता प्रतिबंध लगाया जाए, निर्माण विभागों में तृतीय समयमान वेतनमान प्राप्त करने के लिए विभागीय परीक्षा की वाध्यता समाप्त कर अन्य विभागों की भांति तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ दिया जावे। भृत्य का पदनाम परिवर्तित किया जाकर कार्यालय सहायक किया जावे, आयुष विभाग के कर्मचारियों की नैतिक मांगो का निराकरण शीघ्र किया जावे।

इसके अलावा आँगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार नियमित वेतनमान, उपादान, पेंशन का लाभ दिया जाए, प्रदेश के सभी विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए एवं नियमो का सरलीकरण करते हुए 3 वर्ष में सीपीसीटी परीक्षा उतीर्ण करने की अनिवार्यता समाप्त कर पूर्व की भांति सभी लाभ दिए जाए, अतिथि शिक्षक एवं अतिथि विद्वानों को नियमित किया जावे, आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जावे।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, विश्वदीप पटेरिया, संजय गुजराल, मुकेश मरकाम, अभितेज़ त्रिपाठी, नरेश शुक्ला, संतोष मिश्रा, संजय उपाध्याय, रविकांत दहायत, प्रसांत सोधिया, योगेश चौधरी, अजय दुबे, धीरेंद्र सिंह, राजेंद्र तेकाम, मुकेश चतुर्वेदी, हरि प्रसन्न त्रिपाठी, टीना गर्ग, यूएस करोसिया, रवि बांगड़, अर्जुन सोमवंशी, स्वदेश जैन ने कर्मचारियों की मांगों पर तत्काल आदेश जारी करने की मांग की है।