लोक सेवकों को वेतनमान के अनुरूप मिले पदनाम, एमपी सरकार पर नहीं बढ़ेगा आर्थिक बोझ

देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को कर्मचारियों की पदोन्नति देने के संबंध में स्वतंत्र कर दिया गया है, इसके बाद भी प्रदेश के लगभग 10 लाख कर्मचारी पदोन्नति से वंचित है। शासन द्वारा अपने कर्मचारियों को उच्च पद का वेतनमान तो दिया जा रहा है, किन्तु उन्हें वेतनमान के अनुसार पदनाम नहीं दिया गया है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के सभी संवर्ग के उच्च वेतनमान प्राप्त लोक सेवकों को वेतनमान के अनुरूप पदनाम देने का मसौदा पिछले दो वर्ष से तैयार है, पदोन्नति न होने से जहां एक ओर शासन में पदोन्नति के पद विगत पांच से नौ वर्षों से रिक्त हैं, जिससे शासन का कार्य भी प्रभावित हो रहा है।

निम्न स्तर के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की यदि उच्च पद पर पदोन्नति एवं पदनाम परिवर्तन पर कोई ठोस निर्णय लिया जाता है तो इससे कर्मचारी लाभांतिव होंगे ही शासन पर भी कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पडेगा। तथा सीधे भर्ती के लिए भी पद रिक्त प्राप्त हो सकेंगे।

संघ के संघ योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, मनोज सेन बृजेश मिश्रा, योगेन्द्र मिश्रा, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, सुरेन्द्र जैन, श्रीराम झारिया, देवेन्द्र प्रताप सिंह, श्यामबाबू मिश्रा, प्रमोद पासी, श्यामनारायण तिवारी, सुभसंदेश सिंगौर, प्रमोद वर्मा, मनोज सेन, नेरन्द्र शुक्ला, विनय नामवेदव, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, गणेश उपाध्याय, महेश कोरी, विष्णु पाण्डे, संतोष तिवारी, राकेश दुबे, सुदेश पाण्डे आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि कर्मचारियों को उनको मिल रहे उच्च वेतनमान के अनुरूप पदनाम दिया जावे।