विद्युत सब-स्टेशन में अकेला था आउटसोर्स कर्मी और हो गया हादसा, जैसे-तैसे बची जान

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि न तो वो अपने कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करा पा रही है और न ही अधिकारियों में इतना नैतिक साहस बचा है कि वे ठेका कंपनियों के प्रबंधन को आउटसोर्स कर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने के लिए कह सकें।

इसका परिणाम ये हो रहा है कि आए दिन मैदानी बिजली कर्मी खासतौर पर आउटसोर्स कर्मी लगातार दुर्घटनाओं का शिकार होकर मृत्यु का निवाला बन रहे हैं या फिर अपंग हो रहे हैं। आज स्थिति ये है कि एक 33*11 KV सब-स्टेशन की जिम्मेदारी सिर्फ एक ही आउटसोर्स कर्मी को दे दी गई है, इस दौरान उसके साथ अगर कोई हादसा हो जाए तो उसे देखने-संभालने वाला कोई नहीं होता। वहीं जानकारों का कहना है कि विद्युत मंडल के अस्तित्व के समय हर सब-स्टेशन में एक ऑपरेटर और एक हेल्पर की तैनाती की जाती थी, लेकिन बिजली कंपनियां के अस्तित्व में आने और ठेका प्रथा शुरू होने के बाद हेल्पर का पद बिना किसी योजना के समाप्त कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 16 अक्टूबर को जबलपुर डिवीजन के अंतर्गत बरेला डीसी के पास 33*11 KV सब-स्टेशन में कार्यरत ऑपरेटर आउटसोर्स कर्मी दीपक कुशवाहा सब-स्टेशन में अकेला था और बांस की सीढ़ी नहीं होने पर कुर्सी के ऊपर चढ़कर एबी स्विच लगा रहा था, उसी समय कुर्सी टूटने की वजह से जमीन में गिर गया। उसके बाएं हाथ में चार फैक्चर हो गए हैं, जिसके इलाज में ₹45 हजार खर्च हो गये हैं, लेकिन अभी तक ठेका कंपनी के द्वारा इलाज के लिए पैसा नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि ये तो गनीमत थी कि आउटसोर्स कर्मी को ज्यादा गंभीर चोट नहीं पहुंची और उसने जैसे-तैसे परिजनों को फोन पर सूचित किया, जिसके बाद सब-स्टेशन पहुंचे परिजन कर्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले गए। विचारणीय बात ये है कि अगर सब-स्टेशन में अकेले कर्मी को गंभीर चोट आई होती तो उसको जान के लाले पड़ जाते।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि एक अन्य दुर्घटना में एक और आउटसोर्स कर्मी कार्य के दौरान करंट लगने से बुरी तरह झुलस गया। उन्होंने बताया कि मंडला में 17 नवंबर को दोपहर 1 बजे आउटसोर्स कर्मी कविंद्र कुमार सैयाम को जूनियर इंजीनियर के द्वारा 11 KV लाइन में फाल्ट आने पर, सुधार करने के लिए भेजा गया था। इस दौरान अधिकारी ने 33*11 KV सब-स्टेशन खिना रीपता से सप्लाई बंद करने का परमिट लिया था। आउटसोर्स कर्मी 11 KV के पोल पर चढ़कर फाल्ट सुधार कार्य कर रहा था, उसी समय बिजली सप्लाई चालू होने की वजह से उसके दोनों हाथ करंट से झुलस गए और कर्मी 15 फीट की ऊंचाई से जमीन पर गिर गया। जिसकी वजह से उसकी तीन पसलियों में फैक्चर हो गया एवं कमर में अंदरूनी चोट आई है, वहीं स्पार्क लगने से पीठ भी जल गई।

तकनीकी कर्मचारी संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, आजाद सकवार, सुरेंद्र मेश्राम, इंद्रपाल सिंह, राजेश शरण, प्रकाश काछी, रामब्रज दाहिया, दिनेश कोल, लखन सिंह राजपूत, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, विनोद दास आदि ने दोनों आउटसोर्स कर्मियों के इलाज के लिए सहायता राशि देने की मांग की है।