संसद में आगामी एक फरवरी को केंद्र सरकार का बजट प्रस्तुत होने जा रहा है, इस वर्ष बजट से किसानों ने बहुत उम्मीदें कर रखी हैं। वित्त मंत्री के समक्ष देश के किसान संगठनों व किसान प्रतिनिधियों तथा विशेषज्ञों ने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये है।
किसानों के राष्ट्रीय संगठन भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल ने बताया की इस वर्ष के बजट में विगत वर्ष के बजट की तुलना मे ‘गांव, खेत, किसान’ के बजट में केवल 0.4 प्रतिशत की ही वृद्धि की गई थी। जबकि किसानों की लागत एवं मंहगाई में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी।
कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के लिए बजट में किया गया प्रावधान कुल बजट का मात्र 3.15 प्रतिशत ही था, जबकि हमारी आबादी 60 प्रतिशत है। इतने कम बजट मे ‘गांव, खेत, किसान’ की बेहतरी व समृद्धि की कल्पना बेमानी होगी।
वित्त मंत्री से मांग की गई है कि इस बजट में हमारे लिए आवंटन हमारी संख्या के अनुपात में रखा जाए। साथ ही कृषि के बजट का अलग से ऑडिट करा कर उसके आंकड़े सार्वजनिक किये जाएं, ताकि आवंटन और मैदान में वास्तविक व्यय की समीक्षा की जा सके। आयात-निर्यात नीति में किसान हित को ध्यान में रखकर सुझावानुसार परिवर्तन किये जाये।
केके अग्रवाल ने बताया की वित्त मंत्री द्वारा ली गई बजट पूर्व बैठक में कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजयवीर जाखड़ द्वारा इस सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा करते हुए सुझावों का मसौदा दस्तावेज उन्हें सौंपा गया है। हमें उम्मीद है कि सरकार निश्चित ही हमारी मांगों के अनुरूप इस बजट मे प्रावधान करेगी और बजट किसानों की उमीदों पर खरा उतरेगा।