लखनऊ (हि.स.)। बिजली समस्या के समाधान के लिए फोन नंबर 1912 पर शिकायत दर्ज कराने के बाद फर्जी निराकरण दिखाने की समस्या अब जल्द दूर होगी। इससे बिजली उपभोक्ताओं का उत्पीड़न कम होने की उम्मीद है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने तीन माह के भीतर बिजली कंपनियों को ओटीपी व्यवस्था लागू करने का प्लान देने का निर्देश दिया है। इससे निस्तारण न होने की स्थिति में मुआवजा भी मिलना आसान होगा। इस व्यव्था के लिए उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा था।
इसके साथ ही नियामक आयोग ने सभी सूचनाओं को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है, जिससे लोगों को जानकारी हासिल करने में सुविधा होगी। अब बिजली बिल के पीछे मुआवजा मिलने के तरीके भी लिखे होंगे। पूरी व्यवस्था कहां करें अप्लाई का डिटेल भी दिया जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं को हर जानकारी मिल सके। बिजली कंपनियों को ईमेल व्हाट्सएप व अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बिलों की डिलीवरी की अनुमति दी गई।
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के सामने यह मुद्दा उठाया था कि उपभोक्ताओं द्वारा 1912 पर जो शिकायतें की जाती है, उसका 75 प्रतिशत फर्जी निस्तारण किया जाता है। इसलिए ओटीपी व्यवस्था लागू किया जाए, जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने बडा फैसला लिया है। अब सभी बिजली कंपनियों को 1912 पर शिकायतों के निस्तारण के लिए ओटीपी व्यवस्था लागू करना होगा। जिसके लिए विद्युत नियामक आयोग के सामने 3 महीने में पूरा एक्शन प्लान दाखिल करना है।
उपभोक्ता परिषद का मानना है कि उपभोक्ताओं के रजिस्टर्ड मोबाइल पर शिकायत के तुरंत बाद सेल्फ जेनरेटेड ओटीपी जारी हो और जब उपभोक्ता उसे ओटीपी का नंबर शिकायत दूर होने के बाद बताएं तब उसकी शिकायत का निस्तारण यानी उसे क्लोज किया जाए। इससे शिकायतों का निस्तारण भी सही होगा और शिकायतों का निस्तारण समय से न होने पर मुआवजा भी मिलना तय है।
वहीं उपभोक्ता परिषद लगातार यह मांग उठा रहा था कि बिजली कंपनियों में मुआवजा कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया है, प्रचारित नहीं किया गया है। इसलिए उसका लाभ उपभोक्ता नहीं ले पाए अब विद्युत नियामक आयाेग ने इस पर भी बडा फैसला लिया है और कहा है बिजली बिल के पीछे कैसे मुआवजा मिलेगा। क्या वेब लिंक होगी, पूरा डिटेल बिजली कंपनियों को प्रिंट करना पड़ेगा।
उपभोक्ता परिषद लगातार यह मुद्दा उठा रहा था कि सिंगल पॉइंट कनेक्शन के मामले में बिल्डर मनमानी करते हैं और नियामक आयोग द्वारा तय बिजली दर से उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसा वसूल कर रहे हैं, जिस पर विद्युत नियामक आयाेग ने बड़ा फैसला सुनाया है। कहा है कि सिंगल पॉइंट कनेक्शन धारकों द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए उनके बिलिंग को सार्वजनिक करना पड़ेगा। सार्वजनिक न करने पर उनके लिए दंड प्रक्रिया निर्धारित की गई है। बिजली कंपनियों को इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाने का आदेश दिया गया है ।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी बिजली दर का अध्ययन लगातार उपभोक्ता परिषद कर रहा है। उपभोक्ताओं के हितों में समय-समय पर जो भी सार्थक निर्णय विद्युत नियामक आयोग द्वारा उपभोक्ता परिषद के लंबे संघर्ष के बाद लिए गए हैं। इसकी सूचना से उपभोक्ता परिषद उपभोक्ताओं को देता रहेगा वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद बिजली दरो में कमी के लिए भी अपनी रणनीति के तहत कार्यवाही शुरू कर दी है।