नई दिल्ली (हि.स.)। प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन में कमी होने की वजह से शहरी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को की जाने वाली सप्लाई में 20 प्रतिशत तक की कटौती कर दी गई है। सप्लाई में कटौती होने की वजह से सीएनजी के दाम में 4 से लेकर 6 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी होने की संभावना बन गई है। नेचुरल गैस की सप्लाई में कमी होने के कारण गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को अब इंपोर्टेड लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) खरीद कर अपनी जरूरत को पूरा करना पड़ रहा है। एलएनजी की कीमत अधिक होने की वजह से गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को सीएनजी के दाम में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
हालांकि गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने अभी तक सीएनजी के दाम में बढ़ोतरी नहीं की है। बताया जा रहा है कि इन कंपनियों ने स्थिति से निपटने और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले महंगाई के संभावित बोझ को कम करने के लिए सरकार से सीएनजी पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने का आग्रह किया है। अगर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती करती है, तो सीएनजी के दाम में बढ़ोतरी होने की आशंका टल जाएगी।
जानकारों के मुताबिक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी समेत देश के अन्य क्षेत्र में जमीन के नीचे और समुद्र के तल के नीचे से उत्पादित की जाने वाली प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल एलपीजी के रूप में करने के साथ ही उनका एक बड़ा हिस्सा गाड़ियों के ईंधन के लिए सीएनजी के रूप में और रसोई गैस में इस्तेमाल होने के लिए पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) के रूप में बदला जाता है। बताया जा रहा है कि लंबे समय से गैस का उत्पादन होने की वजह से गैस उत्पादन वाले क्षेत्रों में उत्पादन हर साल घटता जा रहा है। उत्पादन में कमी आने की वजह से तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को शहरी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की सप्लाई में कटौती करना पड़ा है।
बताया जा रहा है कि रसोई घर में इस्तेमाल होने वाले पीएनजी को प्रोटेक्टेड कैटेगरी में रखा गया है। इसलिए प्राकृतिक गैस के उत्पादन में कमी आने के कारण प्राकृतिक गैस की सप्लाई में कटौती की मार सीएनजी कैटेगरी पर ही पड़ी है। उत्पादन में कटौती करने के कारण लंबे समय से प्राकृतिक गैस की सप्लाई में कटौती की जा रही थी। लेकिन 16 अक्टूबर से अतिरिक्त 20 प्रतिशत की कटौती शुरू हो गई है।
जानकारों के मुताबिक पहले सीएनजी की 90 प्रतिशत मांग के लिए घरेलू उत्पादन के जरिए ही प्राकृतिक गैस की सप्लाई की जाती थी। सिर्फ 10 प्रतिशत सीएनजी के लिए ही शहरी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को इंपोर्टेड एलएनजी का इस्तेमाल करना पड़ता था लेकिन प्राकृतिक गैस के उत्पादन में लगातार कमी आने के कारण फिलहाल सीएनजी के लिए कुल मांग का सिर्फ 50.75 प्रतिशत ही सप्लाई हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में सीएनजी की जरूरत पूरा करने के लिए गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के सामने पहले की तुलना में अधिक मात्रा में एलएनजी का आयात करने की मजबूरी बन गई है।
बताया जा रहा है कि गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने प्राकृतिक गैस की सप्लाई में हुई ताजा कटौती के बाद केंद्र सरकार से सीएनजी की एक्साइज ड्यूटी में भी कमी करने का आग्रह किया है। फिलहाल केंद्र सरकार सीएनजी पर 14 प्रतिशत की दर से एक्साइज ड्यूटी वसूलती है, जिसकी लोडिंग प्रति किलोग्राम 14 से 15 रुपये के करीब आती है। माना जा रहा है कि अगर सीएनजी के एक्साइज ड्यूटी में कमी करने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो गई तो गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की लागत में हुई बढ़ोतरी का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा।