जीवन का संगीत लिखे- स्नेहलता नीर

उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे
घिरा दुखों में फिर भी, नर तन पाया अनुग्रहीत लिखे

नेह-गेह के पनघट रीते, हर दिल बंजर खेत मिले
मन हिरनी-सा भटक रहा पर, मरुथल के संकेत मिले
चाहत में भी मन पृष्ठों पर, सुधा सरिस रस प्रीत लिखे
उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे

अपनो से ही हार गया दिल गैरों की क्या बात करे
घाव मिले हैं इतने गहरे, भर भर नैना नीर झरे
फ़र्ज निभाकर क़र्ज चुकाकर, हार मिली पर जीत लिखे
उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे

नफ़रत की फ़सलें लहरातीं, छल-बल का अब राज़ हुआ
ज़ुल्म बढ़ा है, मार-काट से, आहत बहुत समाज हुआ
व्यथा वेदना पीकर अंतस, जन-गण-मन भयभीत लिखे
उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे

जन्म-मरण तो अटल सत्य है, जीवन की धारा बहती
तन पिंजरे में क़ैद आत्मा, देखो कितने दुख सहती
चार दिनों का जीवन मेला, निष्ठुर जग की रीत लिखे
उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे

प्रीत हिंडोला मुझे झुलाए, ऐसा राजकुँवर आये
तन्हाई हो दूर हमारी, मुरझाया मन मुस्काये
ऐसी कृपा करो बनवारी, जिया पिया मन मीत लिखे
उम्मीदों की डोर थाम दिल, जीवन का संगीत लिखे

-स्नेहलता नीर