नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) पहली बार बिजली वितरण के लिए एक राष्ट्रीय योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि 2047 तक देश में बिजली की मांग पीक हावर में 708 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। इसे पूरा करने के लिए हमें अपनी क्षमता तीन गुना यानी 2,100 गीगावाट बढ़ाने की जरूरत है। इसका मतलब है कि केवल क्षमता बढ़ाने से काम नहीं चलेगा बल्कि हमें संपूर्ण ऊर्जा परिदृश्य की पुनर्कल्पना करनी होगी।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने आज नई दिल्ली में भारतीय विद्युत क्षेत्र परिदृश्य 2047 पर विचार-मंथन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत के भविष्य के बिजली मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
मनोहर लाल ने सत्र में लॉन्च की गई राष्ट्रीय विद्युत योजना का हवाला देते हुए क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सीईए की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य सरकारों और निवेशकों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करेगी, जिससे क्षेत्र के विकास के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।
सीईए द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल मई में भारत की अधिकतम बिजली मांग 250 गीगावॉट तक पहुंच गई। उस समय स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 453 गीगावॉट थी। भारत की 2047 तक 708 गीगावॉट की चरम बिजली मांग को समायोजित करने के लिए 2,053 गीगावॉट स्थापित क्षमता की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि हमने 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इससे प्रभावी रूप से हमारी वर्तमान क्षमता दोगुनी हो जाएगा। हरित ऊर्जा की ओर यह प्रयास 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन तक कम करने और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
कॉन्क्लेव का आयोजन फिक्की और सीबीआईपी सहित हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला के सहयोग से किया जा रहा है। सीईए ने 2047 तक बिजली क्षेत्र के विकास के लिए अपने दृष्टिकोण का खुलासा किया है, जिसमें सतत विकास, तकनीकी नवाचार और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने पर जोर दिया गया है।