नई दिल्ली (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने सोमवार को लड़ाकू सुखोई विमानों के लिए 240 एयरो-इंजन की खरीद को मंजूरी दे दी। भारतीय वायु सेना के इन विमानों के लिए एयरो-इंजन की डिलीवरी एक साल बाद शुरू होकर आठ साल की अवधि में पूरी होगी। इन इंजनों में 54 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी।
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू सुखोई-30 एमकेआई विमानों के लिए 240 एयरो इंजन (एएल-31एफपी) की खरीद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 26 हजार करोड़ रुपये से की जाएगी। खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इन एयरो इंजनों की डिलीवरी एक वर्ष के बाद शुरू होगी और आठ वर्षों के भीतर सभी इंजनों की आपूर्ति वायु सेना को कर दी जाएगी, ताकि 240 सुखोई विमानों को चरणबद्ध तरीके से अपग्रेड किया जा सके। इन इंजनों में 54 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी। इन इंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा।
भारतीय वायु सेना के पास रूस में निर्मित सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायु सेना के सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लड़ाकू बेड़े में से एक है। एचएएल में बनाए जाने वाले इन एयरो इंजनों की आपूर्ति से वायु सेना के हवाई लड़ाकू बेड़े की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा, ताकि वे अपने निर्बाध संचालन को जारी रखकर देश की युद्ध और रक्षा तैयारियों को मजबूत कर सकें। वायु सेना ने अपनी स्क्वाड्रन ताकत बढ़ाने की दिशा में 12 उन्नत सुखोई-30 लड़ाकू जेट खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को एक निविदा जारी की है, जिसका निर्माण रूसी मूल उपकरण निर्माताओं की साझेदारी में भारत में किया जाएगा।
सुखोई विमानों के अपग्रेडशन से भारतीय वायु सेना को बड़ी ताकत मिलेगी और विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर निर्भरता भी काफी सीमा तक कम हो जाएगी। सुखोई की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें ऐसा राडार, नये इंजन, आईआरएसटी सेंसर, अगली पीढ़ी के आरडब्ल्यूआर, एडवांस जैमर, वैमानिकी, नए ईडब्ल्यू सूट, डीएफसीसी, भारतीय मिसाइलें और बम लगाए जाने हैं। एचएएल में अपग्रेड होने के बाद सुखोई-30 रूसी जेट नहीं रहेगा, बल्कि 78 फीसदी स्वदेशीकरण होने के बाद भारतीय जेट में बदल जायेगा।