Wednesday, January 8, 2025
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भोपाल को साहित्य नगरी के रूप में मिलेगी वैश्विक पहचान, महापौर ने यूनेस्को को भेजा आवेदन

मध्य प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा है कि समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध भोपाल को यूनेस्को में विश्व की साहित्य नगरी के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। भोपाल को साहित्य सृजन, संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान मिलेगी। राज्य मंत्री लोधी, मुल्ला रमूजी संस्कृति भवन में यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में भोपाल को साहित्य के क्षेत्र में नामित करने के प्रस्ताव पर हितधारक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। राज्य मंत्री लोधी ने कहा कि इससे भोपाल के साहित्य और साहित्यकारों को वैश्विक मंच मिलेगा। साथ ही भोपाल के शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को गति मिलेगी। 

महापौर भोपाल श्रीमती मालती राय ने भोपाल को साहित्य के क्षेत्र में नामित किए जाने के लिए एप्लीकेशन और डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किए। महापौर श्रीमती राय ने कहा कि यूनेस्को द्वारा भोपाल को साहित्य नगरी घोषित किए जाने के हर संभव प्रयास किए जायेंगे। इस उपलब्धि से भोपाल शहर का गौरव बढ़ेगा। आने वाले समय में भोपाल विश्व का साहित्यिक और सांस्कृतिक केंद्र बनेगा।

प्रमुख सचिव संस्कृति, पर्यटन और प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में भोपाल को साहित्य के क्षेत्र में नामित करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे भोपाल की साहित्यिक विरासत दुनिया के सामने आयेगी। यूनेस्को ने साहित्य के क्षेत्र में 39 देशों के 53 शहरों को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल किया है। पिछले वर्ष केरल के कोझिकोड शहर को यूनेस्को ने साहित्य के क्षेत्र में शामिल किया था। भोपाल को देश का दूसरा शहर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्वालियर को यूनेस्को द्वारा म्यूजिक सिटी का दर्जा दिए जाने के बाद से ग्वालियर में युवाओं में संगीत के प्रति रुझान बढ़ा है। इसी तरह भोपाल को साहित्य नगरी का दर्जा मिलने के साथ ही युवा भी साहित्य सृजन और पठन के प्रति आकर्षित होंगें। भोपाल को यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल किए जाने के डोजियर को मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा तैयार किया गया है। इसे संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को भेजा जा रहा है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा अनुमोदित होने पर डोजियर यूनेस्को को मूल्यांकन के लिए प्रेषित किया जाएगा।

संगोष्ठी में हितधारकों को यूनेस्को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क की जानकारी देते हुए बताया गया कि यूनेस्को द्वारा शहरों को 7 श्रेणियों में मान्यता दी जाती है। इसमें शिल्प और लोक कला, रचना, फिल्म, पाक कला, साहित्य, संगीत और मीडिया आर्ट शामिल है। महाराजा भोज के द्वारा 1010 ईसवी में साहित्य सृजन से शुरू हुई स्वर्णिम विरासत भोपाल को साहित्य सृजन और संरक्षण के क्षेत्र में विशेष बनाती हैं। हिंदी के साथ साथ उर्दू, सिंधी, पंजाबी आदि भाषाओं में साहित्यकारों द्वारा भोपाल में साहित्य सृजन किया गया है। भोपाल में संस्कृति विभाग द्वारा 150 से ज्यादा सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन और भारत भवन द्वारा 20 से अधिक वार्षिक आयोजन किए जाते हैं। भोपाल में 70 से अधिक लाइब्रेरी और रीडिंग सेंटर्स है। इसके साथ ही समुदायों और संस्थाओं के सहयोग से विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन भोपाल में किया जाता है। संगोष्ठी में प्रेजेंटेशन से हितधारकों को भोपाल को साहित्य नगरी का दर्जा दिलाने के लिए शहर में हो रहे साहित्यिक कार्यक्रम और गतिविधियों, संकलन, एग्जिबिशन और आयोजन की जानकारी के साथ अगले 4 वर्षों में साहित्य के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर चर्चा की गई। 

इस अवसर पर संचालक संस्कृति एनपी नामदेव, अपर प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड सुश्री बिदिशा मुखर्जी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के अन्तर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, आदिवासी लाके कला एवं बोली विकास अकादमी, साहित्य अकादमी, कालिदास संस्कृत अकादमी, सिंधी साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य अकादमी, भोजपुरी साहित्य अकादमी, पंजाबी साहित्य अकादमी आदि के निदेशक और प्रतिनिधि, साहित्यकार और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहें।

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