उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मध्यप्रदेश की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के मूल विकास दर्शन से प्रेरित होकर विभिन्न सामाजिक विकास योजनाएँ लागू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिला और विकास खंड स्तर पर अब विकास के लक्ष्यों पर निगरानी रखने पर ध्यान दिया गया है।
उप मुख्यमंत्री देवड़ा सतत् विकास के लक्ष्यों के लिए निगरानी ढांचे, पर्यावरणीय आंकड़ों के संकलन और लिंग सांख्यिकी पर आयोजित क्षमता निर्माण पर कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का आयोजन केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय और मप्र राज्य नीति आयोग द्वारा किया गया है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय संतुलन के बिना विकास अधूरा है। विकास के लक्ष्य तय करने और उन्हें हासिल करने के लिए आंकड़ों की शुद्धता आवश्यक है। उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सबके समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
यूएन रीजनल कोऑर्डीनेटर शोम्बी शार्प, ने कहा कि भारत द्वारा सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की गति से यह आंकलन होगा कि दुनिया के अन्य देश कितनी जल्दी इन लक्ष्यों को हासिल कर पायेंगे। विकास के लिए शुद्ध आंकड़े सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यूएन और मध्यप्रदेश और केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय समझौतों के साथ आगे बढ़ने की कोशिश हो रही है। इसमें पांच संगठन शामिल हैं- यूनीसेफ, यूनीडो, यूएनएफपीए, यूएन वूमन और यूएनडीपी। उन्होंने कहा कि सतत् विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की गति को और तेज करने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि विकास प्रक्रियाओं से संबंधित आंकड़ों का समय पर संकलन सबसे जरूरी है। इसके अलावा उनके बदलाव पर सतत निगरानी रखना और उनका समय समय पर विश्लेषण करना आवश्यक है। इससे नीति निर्माण प्रक्रिया न सिर्फ आसान बल्कि प्रभावी होगी। उन्होंने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” की मूल भावना नीति निर्माण प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु है। उन्होंने केन्द्र और राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि योजनाओं का सम्पूर्ण क्रियान्वयन होना चाहिए तभी अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।
मुख्य सचिव ने विकास की दृष्टि से पिछड़ रहे जिलों और विकास खंडों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का एकीकरण उतना ही जरूरी है जितना समय पर संकलन। उन्होने विकास के प्रयासों की प्रगति का आंकलन करने के लिए भी संकेतकों का विकास करने की आवश्यकता बताई। इसके अलावा मध्यप्रदेश जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्यों के डेटा विश्लेषण और सामाजिक ढांचे के अनुसार बालिकाओं के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक अधिकारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्य सचिव श्री जैन ने कहा कि भोपाल देश का पहला शहर है, जिससे टाइगर रिजर्व जुड़ा हुआ है। उन्होंने भोपाल की झील, वन विहार और विश्व धरोहर का उल्लेख करते हुए अतिथियों से कहा इन स्थानों का भ्रमण जरूर करें।
प्रमुख सचिव योजना संजय शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश वन और जैव विविधता में सबसे समृद्ध राज्य है। बहुत से आरक्षित क्षेत्र हैं। मध्यप्रदेश वन अधिकारों के लिए काम कर रहा है। महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत निर्णय ले रहा है और लिंग आधारित बजट बना रहा है। किसी व्यक्ति के लिए उपचार महत्वपूर्ण है, वैसे ही राज्य की प्रगति पर विभिन्न संकेतकों के माध्यम से निगरानी आवश्यक है। अन्य राज्यों से सीखना भी महत्वपूर्ण है। हमें ऐसे उपकरणों को विकसित करने की आवश्यकता है जो संकेतकों को वास्तविक समय में माप सकें।
केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने बताया कि देश के आर्थिक स्वास्थ्य को दिखाने के लिए आवश्यक सूचकांक प्रदान करता है, जो सामाजिक एवं आर्थिक नीतियों और बजट के विकास में मदद करता है। आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने, सटीकता में सुधार और सांख्यिकीय अनुमान में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। जिला और शहर स्तर पर भी आंकड़ों की तैयारी की जा रही है। जिला स्तर पर अनुमान राज्यों के साथ साझेदारी में तैयार किए जा सकते हैं। यह ग्रैन्युलर डेटा आधारित निर्णय लेने में सहायक होगा।
डीजी (केंद्रीय सांख्यिकी) एनके संतोषी ने अतिथियों और विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। एडीजी एससी मलिक ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।