नई दिल्ली (हि.स.)। वायु सेना के लिए 12 लड़ाकू सुखोई विमान खरीदे जाने का रास्ता गुरुवार को साफ हो गया, क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने इन विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को बढ़ावा देते हुए विमानों और संबंधित उपकरणों की खरीद के लिए यह सौदा 13,500 करोड़ रुपये का है। इन विमानों में 62.6 फीसदी स्वदेशी सामग्री होगी और इनका निर्माण एचएएल के नासिक डिवीजन में किया जाएगा। इन विमानों की आपूर्ति से भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमता बढ़ेगी और देश की रक्षा तैयारियां मजबूत होंगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारतीय वायु सेना के लिए खरीदे जाने वाले यह 12 सुखोई-30 एमकेआई जेट उन विमानों की जगह लेंगे, जो पिछले कई वर्षों में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इनका निर्माण एचएएल के नासिक संयंत्र में लाइसेंस के आधार पर किया जाएगा और इसकी लागत लगभग 13,000 करोड़ रुपये होगी। सुखोई वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। दरअसल, 2000 से 2019 के बीच 11 सुखोई-30 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में इन विमानों की भरपाई करने के लिए 02 जुलाई, 2020 को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी। विमान में आवश्यकता के अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल होगी। यह विमान हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं।
एचएएल की नासिक यूनिट में सुखोई विमानों को अपग्रेड किए जाने के बाद मिग सीरीज के विमानों और सुखोई-30 की मरम्मत और ओवरहालिंग का कार्य चल रहा है। एचएएल के पास यहां प्रतिवर्ष 15 से 25 सुखोई-30 एमकेआई को ओवरहाल करने की क्षमता है।एचएएल अब यहां वायु सेना के लिए 83 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस-एमके-1 ए के निर्माण की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए एक और नये प्लांट का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है। सुखोई के इंजनों को भी बदला जाना है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 02 सितम्बर को मंजूरी दी थी।
रक्षा मंत्रालय ने 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सुखोई-30 एमकेआई विमान के लिए 240 एएच-31 एमपी एयरो इंजन खरीदने के लिए आज हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इन हवाई इंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा। समझौते के अनुसार एचएएल प्रति वर्ष 30 हवाई इंजन की आपूर्ति करेगा। सभी 240 इंजनों की आपूर्ति अगले आठ वर्षों की अवधि में पूरी हो जाएगी। एचएएल ने 30 सितम्बर को कोरापुट में 240 इंजन के अनुबंध के तहत भारतीय वायुसेना को सुखोई-30 एमकेआई का पहला एएल-31एफपी एयरो इंजन सौंप दिया है।