Saturday, December 21, 2024
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दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम में हुई मौतों की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश, सरकार ने 48 घंटे में मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली के रोहिणी में स्थित आशा किरण शेल्टर होम में हुई मौतों के मामले का राजस्व तथा महिला बाल विकास मंत्री आतिशी ने तत्काल संज्ञान लिया है। उन्होंने इसकी मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिये हैं। साथ ही प्राथमिक जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 48 घंटे की डेडलाइन दी है।

इस बाबत शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान आतिशी ने कहा कि एक महीने में 14 मौतों का होना बेहद गंभीर है। हमने इसकी मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए हैं और प्राथमिक जांच रिपोर्ट के लिए 48 घंटे की डेडलाइन दी है। उन्होंने कहा कि जांच में किसी भी अफ़सर, डॉक्टर, नर्स, केयर गिवर, एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की जाएगी। शुरुआती जानकारी के अनुसार मृतकों में से कई मानसिक दिव्यांगता के अलावा अन्य कई शारीरिक समस्याओं से ग्रसित थे। अभी मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना बाकी है। पोस्टमार्टम और मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट से मौतों की असल वजह साफ होगी।

आतिशी ने कहा, “मैं दिल्ली के लोगों को भरोसा दिलाना चाहती हूं-यदि कोई भी मौत लापरवाही या गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार से हुई है तो संबंधित अफसर को बख्शा नहीं जायेगा।”

आतिशी ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार का सामाजिक विकास विभाग आशा किरण के नाम से एक शेल्टर होम चलाता है। ये शेल्टर होम मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए है, जहां 980 मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति रहते है। यहां बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं, जो दिव्यांगता की गंभीर श्रेणी में हैं। ये लोग अन्य कई शारीरिक समस्याओं से भी ग्रसित हैं। जो बेड रेस्ट पर होते हैं, उनकी पूरी तरह से दूसरों पर निर्भरता होती है। उन्होंने कहा कि आशा किरण शेल्टर होम में 24 घंटे मेडिकल केयर यूनिट की सुविधा रहती है। इसमें 6 डॉक्टर और 17 नर्सें शामिल होती हैं। यहां 450 केयर-गिवर भी हैं, जो 3 शिफ्ट में 24 घंटे काम करते हैं। इस होम में ज़्यादातर बेसहारा छोड़े गए लोग होते हैं।

आतिशी ने कहा कि ये खबर सामने आई है कि जुलाई के महीने में आशा किरण होम में 14 मौतें हुई है। मृतकों में से 13 वयस्क है। इन 14 मौतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है। हालांकि, शुरुआती जांचों से पता चला है कि मृतकों में से ज्यादातर मानसिक दिव्यांगता के अलावा अन्य कई शारीरिक समस्याओं से ग्रसित थे। उन्होंने कहा कि एक महीने में 14 मौतों का होना बेहद गंभीर मामला है।

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