कोलंबो (हि.स.)। डॉ. शिरानी भंडारनायके के बाद मर्डू फर्नांडो श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस बनने वालीं दूसरी महिला बन गई हैं। उन्होंने कल न्याय के स्वतंत्र और निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में देश की न्यायपालिका की अखंडता, स्वतंत्रता और गरिमा को बनाए रखने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की प्रतिज्ञा की।
डेली मिरर समाचार पत्र के अनुसार, चीफ जस्टिस मर्डू फर्नांडो ने यह टिप्पणी औपचारिक स्वागत समारोह में की। श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट ने देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के स्वागत के लिए समारोह का आयोजन किया। नवनिर्वाचित मुख्य न्यायाधीश मर्डू फर्नांडो का उच्चतम न्यायालय, अपील न्यायालय, उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों और मजिस्ट्रेट न्यायालयों के न्यायाधीशों ने गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
चीफ जस्टिस मुर्दु फर्नांडो ने कहा कि वह कानून के शासन को मजबूत करने और एक ऐसी न्यायपालिका का निर्माण जारी रखने के लिए तत्पर हैं जो न केवल निष्पक्ष हो बल्कि लोगों के लिए पारदर्शी, सुलभ और जवाबदेह भी हो। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, उनके लिए अन्याय के हमले से लोकतंत्र के किले की रक्षा करने वाले सैनिकों की एक सेना के समान है। उन्होंने कहा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं। उन्हें प्रत्येक नागरिक के जीवन में न्याय के महत्व की याद आती है। न्याय मात्र एक आदर्श नहीं है, यह एक जीवित, सांस लेने वाली शक्ति है जो परिवारों, समुदायों और राष्ट्रों को प्रभावित करती है। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि कानून का शासन बिना किसी डर या पक्षपात के निष्पक्ष और निष्पक्ष रूप से लागू हो।