कोटा (हि.स.)। राजस्थान के कोटा मंडल में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर लखनऊ स्थित अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) टीम वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का ट्रायल कर रही है। कोटा मंडल में 180 किलाेमीटर प्रति घंटा की स्पीड से सफल ट्रायल के बाद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने एक्स अकाउंट पर वंदे भारत स्लीपर के ट्रायल का वीडियो पोस्ट किया है।
इस वीडियो में वंदे भारत स्लीपर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही है। ट्रेन की स्पीड एक फोन के स्पीडोमीटर पर देखी जा सकती है। फोन के पास पानी से पूरा भरा एक गिलास रखा है। हैरानी की बात यह है कि एक बूंद पानी नहीं छलका।
चलती ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड और स्थिर गति प्राप्त करती है। हाई स्पीड रेल यात्रा में वंदे भारत यात्रियों को आराम का अनुभव कराती है। यह पोस्ट तीन दिनों के सफल ट्रायल के बाद सामने आई है।
दो जनवरी को बूंदी जिले में कोटा और लबान के बीच 30 किलोमीटर लंबे ट्रायल रन के दौरान ट्रेन को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया। एक जनवरी को रोहल खुर्द से कोटा के बीच 40 किलोमीटर लंबे ट्रायल रन में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे रफ्तार पकड़ी। इसी दिन कोटा-नागदा और रोहल खुर्द-चौमहला सेक्शन पर 170 किलोमीटर प्रति घंटे और 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से ट्रायल किया गया।
ट्रायल के दौरान ट्रेन में यात्री भार के बराबर वजन रखा गया। यह ट्रायल वंदे भारत स्लीपर रैक के विभिन्न तकनीकी मानकों के विश्लेषण के लिए किया जा रहा है, जिसमें कपलर फोर्स, एयर सस्पेंशन, ब्रेकिंग सिस्टम, घुमाव ट्रैक पर गति इत्यादि का परीक्षण शामिल है।
आरडीएसओ लखनऊ की निगरानी में ये ट्रायल जनवरी के अंत तक चलेंगे।
परीक्षण पूरे हो जाने के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा अधिकतम गति पर ट्रेन का मूल्यांकन किया जाएगा। अंतिम चरण में सफल होने के बाद ही वंदे भारत ट्रेनों को आधिकारिक रूप से प्रमाणित किया जाएगा और उन्हें भारतीय रेलवे को शामिल करने और नियमित सेवा के लिए सौंप दिया जाएगा।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को ऑटोमैटिक दरवाजे, बेहद आरामदायक बर्थ, ऑन बोर्ड वाई-फाई और विमान जैसी सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है। देश में यात्री पहले से ही मध्यम और छोटी दूरी पर चलने वाली 136 वंदे भारत ट्रेनों के माध्यम से शयन सीटों और विश्व-स्तरीय यात्रा अनुभव का आनंद ले रहे हैं।