हरारे (हि.स.)। जिम्बाब्वे ने मृत्युदंड को समाप्त कर दिया है, यह उस देश में व्यापक रूप से अपेक्षित कदम था जिसने लगभग दो दशक पहले आखिरी बार यह सजा दी थी। 1960 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को एक बार खुद मौत की सज़ा का सामना करना पड़ा था।
संसद से एक विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति मनांगाम्वा ने इस सप्ताह कानून को मंजूरी दी। जिम्बाब्वे में लगभग 60 कैदी मौत की सजा पर हैं, और नए कानून से उन्हें राहत मिली है। देश ने आखिरी बार दो दशक पूर्व वर्ष 2005 में किसी को फांसी दी थी।
अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने मंगलवार को मृत्युदंड को समाप्त करने संबंधी इस कानून को क्षेत्र में उन्मूलनवादी आंदोलन के लिए आशा की किरण बताया है।
मृत्युदंड के खिलाफ अभियान चलाने वाले मानवाधिकार समूह के अनुसार, अन्य अफ्रीकी देशों जैसे केन्या, लाइबेरिया और घाना ने भी हाल ही में मृत्युदंड को खत्म करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं। हालांकि अभी तक इसे कानून में शामिल नहीं किया गया है।