Sunday, December 22, 2024
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भारतीय खाद्य निगम ने आरंभ की माइक्रोसर्विसेस आधारित एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला

भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की अपनी मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए एक व्यापक डिजिटल परिवर्तन पहल शुरू की है। इसे फिलहाल ‘डिपो ऑनलाइन सिस्टम’ के रूप में जाना जाता है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अन्न दर्पण नामक एक नई और माइक्रोसर्विसेस आधारित एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली का कार्यान्वयन शामिल किया गया है।

इस प्रणाली को मंडियों, मिलों, डिपो (स्वामित्व वाले तथा किराए पर लिए गए दोनों तरह) के साथ-साथ मंडल, क्षेत्रीय, खंडवार और मुख्यालय संचालन सहित विभिन्न स्तरों पर संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला संचालन एवं सेवाओं को सुव्यवस्थित व बेहतर बनाने के उद्देश्य से आधुनिक बनाया जा रहा है। यह परिवर्तन उन्नत प्रौद्योगिकी, अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी वातावरण और एक अनुकूलित आर्किटेक्टरल फ्रेमवर्क की सहायता से किया जा रहा है।

इस विचार को साकार करने के लिए भारतीय खाद्य निगम ने मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड को सिस्टम इंटीग्रेटर (एसआई) के रूप में नियुक्त किया है। 14 जून 2024 को अनुबंध पर हस्ताक्षर के साथ ही इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड ही अन्न दर्पण प्रणाली के एंड-टू-एंड डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगी।

इस परियोजना की संकल्पना एक व्यापक, टर्न-की समाधान के रूप में की गई है, जिसमें सिस्टम की होस्टिंग के लिए क्लाउड एनवायरमेंट का प्रावधान शामिल है। इस एप्लिकेशन को सर्विस मेश आर्किटेक्चर का उपयोग करके बनाया जाएगा, जो माइक्रोसर्विस के बीच सहज संचार की सुविधा प्रदान करेगा और इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम से जुड़े बाहरी अनुप्रयोगों के साथ एपीआई-आधारित एकीकरण भी करेगा। मुख्य अनुप्रयोगों और माइक्रोसर्विस के अतिरिक्त भी परियोजना एक केंद्रीकृत एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी, जो भारतीय खाद्य निगम को अधिक सूचित, डेटा-संचालित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी।

अन्ना दर्पण प्रणाली की परिकल्पना कई प्रमुख उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए की गई है, जो भारतीय खाद्य निगम नेतृत्व की रणनीतिक दृष्टि से संरेखित हैं। ये उद्देश्य मौजूदा प्रणालियों की सीमाओं पर काबू पाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनमें ये बिंदु शामिल हैं-

बेहतर दक्षता एवं उत्पादकता: आपूर्ति श्रृंखला में प्रदर्शन को अनुकूलित करने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।

इंटरैक्टिव और उपयोगकर्ता-अनुकूल यूआई डिजाइन: एक सहज ज्ञान युक्त इंटरफेस बनाना, जो उपयोगकर्ता इंटरैक्शन को बढ़ाता है।

डेटा-संचालित निर्णय लेना: रणनीतिक व परिचालन निर्णयों को लेने में सहायता करने के लिए डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना।

आंतरिक एवं बाह्य प्रणालियों के साथ एकीकरण: भारतीय खाद्य निगम के भीतर और बाहर, अन्य प्रणालियों के साथ सुचारू अंतर-संचालन को सुगम बनाना।

मौजूदा आंतरिक प्रणालियों का विलय: अतिरेक को कम करने और कार्य दक्षता में सुधार करने के लिए वर्तमान अनुप्रयोगों का विलय तथा अनुकूलन।

सचलता-प्रथम दृष्टिकोण: आसान व सुलभ पहुंच को प्राथमिकता देना, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रणाली किसी भी समय तथा कहीं भी उपलब्ध हो।

मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड ने इस संबंध में आवश्यकतानुसार एकत्रीकरण, विश्लेषण और दस्तावेज बनाने के दौरान भारतीय खाद्य निगम के संचालन का व्यापक अध्ययन किया है। इनमें भारतीय खाद्य निगम की आवश्यकताओं, वर्तमान प्रक्रिया प्रवाह, मौजूदा एफसीआई-संबंधित अनुप्रयोगों के साथ संभावित एकीकरण अवसरों व संगठन के भीतर डेटा एनालिटिक्स के परिदृश्य की गहन समझ तथा मूल्यांकन शामिल है।

मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने व्यापक जानकारी प्राप्त करने के लिए एफसीआई मुख्यालय में आईटी प्रभाग के साथ घनिष्ठ सहयोग करते हुए कई क्षेत्रीय कार्यालयों के दौरे सहित आवश्यकता-एकत्रीकरण गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की है। ये प्रयास एफसीआई के परिचालन इकोसिस्टम के पूरे स्पेक्ट्रम को उपयोग करने में महत्वपूर्ण हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अन्न दर्पण संगठन की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। वर्तमान में, आवश्यकता के अनुसार ही आगे का कार्य प्रगति पर है।

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