गुवाहाटी (हि.स.)। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने असम के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के तहत जूनियर इंजीनियर (सिविल) पदों के लिए उच्च अंक प्राप्त करने के बावजूद नौकरी से वंचित किए गए उम्मीदवारों की नियुक्ति का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह आदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
उल्लेखनीय है कि बीते 24 जून को 344 जूनियर इंजीनियर (सिविल) पदों के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित दिया गया था। जिनमें, 33 पद ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे। याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया था। उन्होंने दावा किया कि उनका चयन योग्यता के आधार पर किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में तकनीकी दिक्कतों के कारण उन्हें नियुक्तियों से वंचित किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय को बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान जारी किए गए उनके ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र वैध थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा उनके प्रमाणपत्रों को मनमाने तरीके से अस्वीकार कर दिया गया था। क्योंकि ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों के समय और प्रारूप के बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए थे। उनकी जगह कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया था।
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि विज्ञापन में ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों के प्रारूप को लेकर विशिष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव था, जिससे भर्ती प्रक्रिया में अस्पष्टता रही। न्यायालय ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण की अवधारणा अपेक्षाकृत नई थी, जिसे 2019 में लागू किया गया था। 2022 तक मानक प्रमाणपत्र प्रारूप नहीं होने के कारण ऐसा हुआ।
न्यायमूर्ति मेधी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव को देखते हुए याचिकाकर्ताओं के प्रमाणपत्रों को अस्वीकार करना अनुचित था। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में नियुक्त किया जाए। न्यायालय के इस फैसले को लेकर याचिकाकर्ताओं के बीच खुशी छा गई है।