Saturday, September 28, 2024
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दोहराई रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता

भारत की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में बढ़ते हुए एएमआर के खतरे से जल्द से ज्लद से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

सभा को संबोधित करते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि “एएमआर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है, जो आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में हुए दशकों की प्रगति को कमजोर कर रहा है।” उन्होंने “विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों में एएमआर रोकथाम रणनीतियों का तत्काल एकीकरण करने का आह्वान किया, जिसमें महामारी की तैयारी, स्वास्थ्य प्रणाली का सुदृढ़ीकरण और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में संसाधनों के उपयोग पर निरीक्षण से ज्यादा रोकथाम और शमन पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।”

केंद्रीय मंत्री ने भारत में अप्रैल 2017 में राष्ट्रीय कार्य योजना की शुरूआत के बाद से एएमआर से निपटने की दिशा में देश की महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानव और पशु दोनों क्षेत्रों में निगरानी नेटवर्क के विस्तार, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण में सुधार करके अस्पताल में प्राप्त संक्रमण में कमी लाने और मानव एवं पशु स्वास्थ्य क्षेत्रों में जिम्मेदार रोगाणुरोधी उपयोग को बढ़ावा देने में हुई प्रगति को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “स्वास्थ्य कर्मियों के व्यापक और देशव्यापी प्रशिक्षण के माध्यम से संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण को मजबूत किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता, सफाई और संक्रमण नियंत्रण में सुधार किया गया है।”

श्रीमती पटेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “देश में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों की एक व्यवस्थित और मानकीकृत राष्ट्रव्यापी निगरानी शुरू की गई है” उन्होंने आगे कहा कि “रोगाणुरोधकों की पर्चे-आधारित बिक्री सुनिश्चित करने के लिए नियम मौजूद हैं। रोगाणुरोधकों के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय उपचार दिशा-निर्देशों को नियमित आधार पर अपडेट किया जाता है।”

यह जानकारी दी गई कि भारत ने एक सूक्ष्मजीवरोधी प्रबंधन कार्यक्रम विकसित किया है जिसका उद्देश्य अनावश्यक एंटीबायोटिक पर्चे और बढ़ते हुए एएमआर खतरे से निपटना है। यह कार्यक्रम संसाधन-सीमित सेटिंग्स के लिए तैयार किया गया है और इसे देश के कई अस्पतालों में अपनाया जा रहा है।

भारत ने अपने अपडेटेड एनएपी-एएमआर 2.0 के भाग के रूप में अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को भी प्राथमिकता दी है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र के लिए बजटीय कार्य योजनाएं और स्पष्ट रूप से परिभाषित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र शामिल हैं। देश में मौजूदा “वन हेल्थ” संरचना का उपयोग एएमआर से निपटने में मानव, पशु और पर्यावरण क्षेत्रों के बीच समन्वय को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। नवाचार के साथ-साथ, पर्यावरण पर एएमआर के प्रभाव को कम करने का उपाय खोजने के लिए परिचालन अनुसंधान को प्राथमिकता दी गई है।

केंद्रीय मंत्री ने एएमआर पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय घोषणा का मसौदा तैयार करने में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की कोशिशों की सराहना करते हुए अपनी टिप्पणी समाप्त की। उन्होंने राष्ट्रीय एवं वैश्विक दोनों प्रयासों के माध्यम से एएमआर से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

श्रीमती पटेल ने कहा कि “भारत व्यापक क्षेत्रीय एवं अंतर-क्षेत्रीय कोशिशों के माध्यम से एएमआर चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। साथ मिलकर काम करके, हम एएमआर से उत्पन्न जोखिमों को कम कर सकते हैं और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के भविष्य की रक्षा कर सकते हैं।”

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