Tuesday, September 17, 2024
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ममता सरकार का फैसला: सिविक वॉलेंटियरों के पेंशन लाभ में 40 प्रतिशत की वृद्धि

कोलकाता (हि.स.)। आरजी कर अस्पताल में सिविक वॉलिंटियर संजय राय की ओर से जघन्य अपराध को अंजाम दिए जाने के बाद सवाल उठा रहे हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ने सिविक वॉलंटियरों के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। नवान्न ने एक नई अधिसूचना जारी कर सिविक वॉलंटियरों के सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले एकमुश्त धनराशि को बढ़ा दिया है। अब तक सिविक वॉलंटियरों को सेवानिवृत्ति के समय तीन लाख रुपये मिलते थे, लेकिन अब इस राशि को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब इसमें 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

इससे पहले, पिछले सप्ताह ही राज्य सरकार ने कोलकाता और राज्य के अन्य जिलों के सिविक वॉलंटियरों के लिए पूजा बोनस की घोषणा की थी, जिसके तहत सभी को छह हजार रुपये का बोनस मिलेगा। यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब पिछले साल सिविक वॉलंटियरों के पूजा बोनस को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। शुरुआती अधिसूचना में कोलकाता के सिविक वॉलंटियरों को 5300 रुपये का बोनस दिया जा रहा था, जबकि जिलों के वॉलंटियरों को केवल दो हजार रुपये मिल रहे थे।

इस भेदभाव पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे ‘पक्षपाती’ करार दिया था और राज्य सरकार पर जिलों के साथ ‘भेदभाव’ का आरोप लगाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया था कि जिलों के सिविक वॉलंटियरों को भी कोलकाता पुलिस के वॉलंटियरों के समान बोनस मिलेगा। इस साल जनवरी में इस घोषणा को लागू किया गया।

हालांकि, विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को राजनीतिक चाल बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। राज्य के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सिविक वॉलंटियरों के पेंशन लाभ में वृद्धि पर भी सरकार पर निशाना साधा है।

भाजपा के प्रवक्ता राजर्षि लाहिड़ी ने कहा कि सिविक वॉलंटियरों को सिर्फ एक मोहरा बना दिया गया है। इस फैसले से राज्य के सिविक वॉलंटियरों का मनोबल गिरा है। यह वही बल है जो तृणमूल के लिए चुनाव में काम करता है और नेताओं के भ्रष्टाचार में साथ देता है। नवान्न इसीलिए लगातार उनके लिए ये फैसले ले रहा है।

माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “सिविक वॉलंटियर तो अनुबंध पर आधारित कर्मचारी हैं। अगर ऐसा है, तो अन्य सरकारी विभागों के अनुबंध पर आधारित कर्मचारियों के लिए भी यही नियम होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी नीतियों का पालन कर रही हैं- ‘तुम मुझे देखो, मैं तुम्हें देखूंगी’। इससे पूरे प्रशासनिक ढांचे को भीतर से कमजोर किया जा रहा है।”

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