सोशल मीडिया में भी लागू हुई आचार संहिता, तीन घंटे में होगी कार्यवाही

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और इंटरनेट तथा मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा और निर्वाचन आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चन्द्रा को ‘आम चुनाव 2019 के लिए स्वैच्छिक आचार संहिता’ प्रस्तुत की। आईएएमएआई तथा फेसबुक, वाट्स अप, ट्विटर, गूगल, शेयरचैट और टिक-टोक आदि सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के प्रतिनिधियों के साथ कल की बैठक के निष्कर्ष के रूप में यह आचार संहिता विकसित की गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि इस संहिता का तैयार होना एक अच्छी शुरूआत है। उन्होंने कहा कि भागीदारों के लिए इस आचार संहिता में उल्लेखित प्रतिबद्धताओं का अक्षरशः अनुसरण करना जरूरी है। सिन्हा समिति के सुझावों के अनुसार इन प्लेटफॉर्मों ने तीन घंटे के भीतर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत किसी प्रकार की उल्लंघन की रिपोर्ट पर प्रक्रिया चलाने का संकल्प व्यक्त किया है। लोकसभा क्षेत्रों में मतदान से पहले 48 घंटे के समय को साइलेंस पीरियड घोषित किया गया है। इस दौरान सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को 3 घंटे की टाइम लिमिट दी गई है और इतने समय में ही आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली पोस्ट हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इन प्लेटफॉर्मों ने भारत निर्वाचन आयोग के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाली समर्पित रिपोर्टिंग प्रणाली तैयार करने और आम चुनावों की अवधि के दौरान किसी प्रकार के उल्लंघन की रिपोर्ट के बारे में शीघ्र कार्रवाई करने के उद्देश्य से समर्पित टीमों को नियुक्त करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है। भागीदारों ने राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के लिए भी एक प्रणाली उपलब्ध कराने के बारे में सहमति व्यक्त की है, जो मीडिया प्रमाणन एवं अनुश्रवण समिति द्वारा जारी पूर्व प्रमाणित विज्ञापनों को दाखिल करेंगे। इस आचार संहिता में पेड राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने का भी वादा किया गया है। आईएएमएआई ने इस संहिता में उल्लेखित विभिन्न कदमों के बारे में भागीदारों के साथ समन्वय कायम करने पर सहमति व्यक्त की है। भागीदारों ने मतदाता जागरूकता अभियान को स्वैच्छिक रूप से चलाने के बारे में भी संकल्प व्यक्त किया है। आम चुनाव 2019 में निर्वाचन प्रक्रिया में समग्रता कायम रखने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक इस्तेमाल के लिए यह आचार संहिता विकसित की गई है। भागीदारों द्वारा सहमत स्वैच्छिक संहिता को तत्काल प्रभाव से लागू किया जा रहा है।