पिता: राम सेवक वर्मा

राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात-209111

जिंदगी के सफर में पिता महान होता हैl
जमीन पर रहकर भी वह आसमान होता हैl
हर खुशी को अपनी करता है नजरअंदाज,
बच्चों के लिए तो वह पूरा जहान होता हैll

अपने पिता को लोग क्यों पीछे छोड़ देते हैंl
ढलती उम्र में उसके सपनों को तोड़ देते हैंl
जिंदगी तमाम संघर्ष करता रहा उनके लिए ,
काबिलियत मिलने पर बेटे बेजान छोड़ देते हैंll

परिवार का मुखिया जब पिता होता हैl
तो उसके घर में कोई न भूखा सोता है,
इसे कहोगे तुम गुजरे जमाने की बात,
बिना बाप के बेटे से पूछो तो वह कैसे रोता हैll

सोलह की उम्र में हमने पिता को खोया थाl
श्मशान घाट पर मैं फूट-फूट कर रोया थाl
जीवन की हर खुशी हो गई थी काफूर,
रातों में नींद भर फिर कभी न सोया थाll