राममय हो अंतस भाव: प्रार्थना राय

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश

मन द्वारे आ भगवन
करुणा पुष्प बिखरा दो
पूज्य पावन धरा पर
मनुजता की तान सुना दो

मन में रहे ना द्वेष भावना
मिट जाये क्लेश हृदय का
प्रकाश पुंज की छटा से
तमस रात्रि में ऊषा की अलख जगा दो

स्वप्नदर्शी अभिलाषा
मनोरथ पूरा हो सबका
मंत्र सभी जपे मानवता का
मानस पाठ पढ़ा दो

हो पवित्रता चारों वेद सी
राममय हो अंतस भाव
भक्ति भाव पर जगमग
दीयों की माला सजा दो

धर्मपरायणता अभिमान हमारा
अमर रहे भारत का स्वाभिमान
शीर्ष अनंत अम्बर पे
सदैव लहराये सनातनी ध्वजा

स्वार्थ घुमरी में फंसी है नैया
हाथ थाम भवसागर पार करा दो
करुणाकर विनती सुनो हृदय की
काम मोह लोभ का संहार करो

पुनः करो जीवित पुरूषार्थ
मर्यादा का हो शिलान्यास
श्वास-श्वास में हो राम का वास
घर-घर में स्नेहवत भाव सजे 

आँगन-आँगन उत्सव हो
प्रतिदिन होली दिवाली जैसा
जनमानस के अधरों पे
प्रेम भाव का श्रृंगार रचा दो

सुभाषित वसुंधरा को प्रेम सुधा
अमृत का रसपान करा दो
दो वरदान मेरे गोविंद मुझे
भक्ति मार्ग की धूल बना दो