बदले हुए हालात हैं
मानते हैं !
रास्ते अलग हैं
मानते हैं !
पर ,
आते एक बार बस ,
इल्तजा थी यही !
डर मत . . .
कुछ पूछना नहीँ था ,
न जवाब माँगना था बीते वक़्त का ;
बस ,
बहुत कुछ कहना था . . .
तुम सुनते सिर्फ़ ,
कहते कुछ नहीँ ;
बस सुनते . . !
बरसों की बोरी ,
बँधी पड़ी है ;
भावनायें
दर्द
कुछ अश्क
टूटे ख्वाब
अधूरी उम्मीदें . .
सब खोल देता. .तेरे आगे !
खुल के हँस लेता तेरे आगे !
खुल के रो लेता तेरे आगे !
बस एक बार . .
अगर तुम आ जाते ।
राहुल प्रसाद, पलामू
एसबीआई अधिकारी