केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अधिक ऊंचाई वाली पारिस्थिति की प्रणालियों में बाघों के आवास की स्थिति के बारे में आज नई दिल्ली में एक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट जारी करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि यह एक रोमांचक अध्ययन है क्योंकि इससे पता चलता है कि अधिक ऊँचाई वाले स्थानों पर भी पारिस्थितिकी बाघों के विकास के लिए काफी अनुकूल है और हम इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी के आधार पर अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बाघों के लिए मास्टर प्लान बनाएंगे।
संभावित व्यवहार्य आवास, गलियारों के जुड़ाव, मानवजन्य दबावों और भू-परिदृश्य स्तर के परिवर्तनों की पहचान करते हुए यह अध्ययन अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बाघों को संरक्षण देने का औचित्य प्रदान करता है। जीटीएफ के नेतृत्व में, भूटान, भारत और नेपाल की सरकारों तथासंरक्षण भागीदारों (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और देश विशिष्ट सहयोगियों) के इस अध्ययन में आईयूसीएन और डीएफडब्ल्यू के एकीकृत टाइगर हैबिटेट कंजर्वेशन प्रोग्राम (आईटीएचपीसी) मदद की है। यह अध्ययन अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर टाइगर मास्टर प्लान के लिए कार्यनीति प्रदान करता है।
बाघों केआवास में अनेक बायोम जीवों और पारिस्थितिकी की विभिन्न स्थितियां शामिल होती हैं। हालांकिसीमा के अंदर अधिकांश अधिक ऊंचाई वाले आवासों में बाघ की उपस्थिति, शिकार और निवास स्थान की स्थिति का मूल्यांकन नहीं किया गया है। आवास स्थान की मैपिंग और भविष्य के रोडमैप के लिए एक स्थिति के विश्लेषण को शामिल करते हुए उक्त मूल्यांकन को लागू करना महत्वपूर्ण हो जाता है। अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बाघों के आवास के लिए स्थायी भूमि उपयोग के माध्यम से संरक्षण दिए जाने की जरूरत है। ये अधिक महत्वपूर्ण उच्च मूल्य वाले पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने वाली कई हाइड्रोलॉजिकल और पारिस्थितिकी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। ये जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए भी अनुकूल होती हैं। दक्षिण एशिया के कई अधिक ऊंचाई वाले स्थलों पर बाघ की स्थानिक उपस्थिति है। इनके संरक्षण के लिए प्रयास सुनिश्चित किए जा रहे हैं।