आज आधार पर अपना निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट के सेक्शन 33(2) को निरस्त कर दिया है। इससे डेटा शेयरिंग पर रोक लग जाएगी। इसके अलावा सेक्शन 57 पर भी रोक लगा दी गई है। सेक्शन 57 के तहत सरकार और प्राइवेट कंपनियों को आधार का डेटा मांगने का अधिकार दिया गया है। फैसले में कहा गया कि प्राइवेट कंपनी बायोमैट्रिक डेटा साझा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा सीबीएसई और एनईईटी आधार को अनिवार्य नहीं कर सकते हैं। स्कूल भी एडमिशन के लिए लिए आधार कार्ड को अनिवार्य तौर पर नहीं मांग सकते हैं। इसके लिए अवैध प्रवासियों को आधार नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड से हाशिए पर जी रहे लोगों को सुविधा हो रही है। आधार के जरिए कई योजनाओं का फायदा सीधे लाभार्थियों को उनके बैंक अकाउंट में दिया जाता है। आधार कार्ड पर फैसला मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एके सिकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड और अशोक भूषण की बैंच ने सुनाया।
जस्टिस सीकरी ने बैंच का निर्णय सुनाते हुए कहा कि आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर है। बायोमैट्रिक जानकारी संग्रहीत होने के बाद यह सिस्टम में बनी हुई है। आधार कार्ड से गरीबों को ताकत और पहचान मिली। आधार आम आदमी की पहचान बन चुका है। आधार कार्ड का डुप्लीकेट बनवाने का विकल्प नहीं। आधार कार्ड बिल्कुल सुरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से समाज के एक वर्ग को ताकत मिली। आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। बेहतर होने से अच्छा कुछ अलग होना है, आधार अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, डाटा प्रोटेक्शन पर केंद्र कड़ा कानून बनाए। आधार में डाटा की सुरक्षा की र्प्याप्त व्यवस्था है। डाटा सुरक्षा के लिए UIDAI ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निजी कंपनियां आधार नहीं मांग सकतीं। न्यायालय ने यह भी कहा कि सीबीएसई, एनईईटी और यूजीसी के लिए आधार जरूरी है, लेकिन स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आधार व्यापक पब्लिक इंटरस्ट को देखता है और समाज के हाशिये पर बैठे लोगों को इससे फायदा होगा। डेटा को 6 महीने से ज्यादा स्टोर नही करेंगे। 5 साल तक डेटा रखना बैड इन लॉ है। आधार कार्ड को बैंक से लिंक करना जरूरी नहीं, लेकिन इसे पैन कार्ड से जरूरी लिंक करना होगा। मोबाइल सिम लेने के लिए आधार कार्ड देना जरूरी नहीं है।