केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में सरकार का योगदान बढ़ाकर मूल वेतन का 14 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट ने एनपीएस में कुछ बदलाव किया है। सरकार के मौजूदा 10 प्रतिशत योगदान को बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है, अभी यह 10 प्रतिशत है, वहीं कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 प्रतिशत ही बना रहेगा।
इसके अलावा एनपीएस की कुल राशि में से 60 राशि निकालने पर अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। पहले यह सीमा 40 प्रतिशत तक थी। साथ ही मंत्रिमंडल ने कर्मचारियों के 10 प्रतिशत तक योगदान के लिए आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर प्रोत्साहन को भी मंजूरी दी। इसके अलावा कर्मचारियों के पास निश्चित आय उत्पादों या शेयर इक्विटी में निवेश का विकल्प होगा। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार यदि कर्मचारी सेवानिवृत्ति के समय एनपीएस में जमा धन का कोई भी हिस्सा निकालने का निर्णय नहीं करता है और 100 प्रतिशत पेंशन योजना में हस्तांतरित करता है तो उसका पेंशन अंतिम बार प्राप्त वेतन का 50 प्रतिशत से अधिक होगा।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 6 दिसम्बर, 2018 को अपनी बैठक में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को युक्तिसंगत या सरल बनाने के लिए निम्नलिखित प्रस्ताव को मंजूरी दी।
• केन्द्र सरकार द्वारा एनपीएस टियर-। के दायरे में आने वाले अपने कर्मचारियों के लिए अपना अनिवार्य अंशदान मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।
• केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन फंडों और निवेश के स्वरूप के चयन की आजादी दी गई है।
• वर्ष 2004-2012 के दौरान एनपीएस में अंशदान न करने या इसमें विलम्ब होने पर क्षतिपूर्ति की जाएगी।
• एनपीएस से बाहर निकलने पर मिलने वाली एकमुश्त निकासी राशि पर कर छूट सीमा बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है। इसके साथ ही समूची निकासी राशि अब आयकर से मुक्त हो जाएगी। (मौजूदा समय में वार्षिकी की खरीद के लिए इस्तेमाल की गई कुल संचित राशि का 40 प्रतिशत कर मुक्त है। सेवानिवृत्ति के समय एनपीएस के सदस्य द्वारा निकाली जाने वाली संचित राशि के 60 प्रतिशत में से 40 प्रतिशत कर मुक्त है, जबकि शेष 20 प्रतिशत राशि कर योग्य है।)
• एनपीएस के टियर-।। के तहत सरकारी कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाला अंशदान अब आयकर की दृष्टि से 1.50 लाख रुपये तक की छूट के लिए धारा 80 सी के अंतर्गत कवर होगा। यह अन्य योजनाओं जैसे कि सामान्य भविष्य निधि, अंशकारी भविष्य निधि, कर्मचारी भविष्य निधि और सार्वजनिक भविष्य निधि के सम्तुलय है, बशर्तें कि इसमें तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि हो।