कल 25 मार्च को गुड़ी पड़वा है, इसे सृष्टि का जन्म दिन भी कह सकते हैं। इसके साथ ही हिन्दू नवसंवत्सर और माँ जगतजननी की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि का भी आरंभ होता है। इन दिनों भारत सहित पूरी सृष्टि एक घातक विषाणु की चपेट में है, तो आइए माँ से सर्वकल्याण की प्रार्थना करें।
गुड़ी पड़वा से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। ये भी मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी। महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा को देश भर में हिन्दू नववर्ष या नव संवत्सर के रूप मनाया जाता है। इस दिन से विक्रम संवत का आरंभ और ऋतु परिवर्तन के साथ ही ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
वहीं गुड़ी पड़वा के दिन से चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र का भी शुभरम्भ होता है। नौ दिनों तक चलने वाले चैत्र नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों आराधना की जाती है। चैत्र नवरात्र का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में माँ दुर्गा की आराधना करने से हर मुश्किल से छुटकारा मिलता है और दुःखों का नाश हो जाता है। चैत्र नवरात्र का एक विशेष महत्व और है चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमीं को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्मोत्सव पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, इसी दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की आराधना की जाती है। माँ दुर्गा के नौ रूप माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री की आराधना के माँ के भक्त मनचाहे वर प्राप्त करते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कलश स्थापना का मुहुर्त कल 25 मार्च बुधवार को सुबह 6:19 बजे से सुबह 7:17 बजे तक रहेगा, जिसकी अवधि 58 मिनट होगी। प्रतिपदा तिथि 24 मार्च को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से 25 मार्च दिन को शाम 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी
चैत्र नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं जिनके चलते इसे फलदायक बताया जा रहा है। इस नवरात्रि में 4 सर्वाथ सिद्धि योग, 5 रवि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग रहने वाला है।