आषाढ कृष्ण पक्ष अमावस्या कल 2 जुलाई मंगलवार को खग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण दक्षिण प्रशांत महासागर से प्रारम्भ होकर दक्षिणी अमेरिका के कुछ भागो में प्रवेश करते हुए एवं चिली होते हुए अर्जेंटीना में खग्रास रूप में दिखायी देगा, वहीं यह पूर्ण सूर्य ग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर और दक्षिणी अमेरिका एवं न्यूजीलैंड के तट से दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा। यह सूर्य ग्रहण भारतीय मानक समयानुसार 2 जुलाई दिन मंगलवार की रात 10 बजकर 25 मिनट पर स्पर्श करेगा, रात में 12 बजकर 53 मिनट ग्रहण का मध्य होगा तथा मोक्ष भोर में 3 बजकर 21 मिनट पर होगा।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यूँ तो रात में लगने वाले सूर्य ग्रहण का कोई विशेष धार्मिक महत्व नही होता परंतु ग्रहीय दृष्टि से इसका पूर्ण महत्त्व होता है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य, चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब चंद्रमा, सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। आम भाषा में इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमे चंद्र, सूर्य व पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं व चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन ही घटित होता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णत अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का बहुत ज्यादा महत्व है। इसका सीधा मानव जीवन सहित सभी जीव जन्तुओं पर पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान सिर पर तेल लगाना, खाना खाना और बनाना वर्जित होता है। ग्रहण के दौरान वायुमंडल में बैक्टीरिया और संक्रमण का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे में भोजन करने से संक्रमण अधिक होने की आशंका रहती है। इसलिए ग्रहण के दौरान भोजन खाने से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, साथ ही इस दौरान नुकीली चीज और कपड़े न सिलें अर्थात सुई का प्रयोग, चाकू का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान अपने ईष्ट देव को याद करें और ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
धार्मिक मान्यतानुसार सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है। ग्रहण के बाद गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल,काला कम्बल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान करने से खास लाभ मिलेगा।
सूर्य ग्रहण का सभी राशि एवं लग्नो सहित सम्पूर्ण चराचर जगत को प्रभावित करेगा। विभिन्न राशियो पर इसका निम्न प्रभाव पड़ेगा-
मेष राशि- पराक्रम वृद्धि, विद्या में अवरोध, पेट की समस्या।
वृष राशि- वाणी में तीव्रता,पराक्रम एवं आय में वृद्धि, अचानक खर्च वृद्धि, पेट एवं पैर की समस्या।
मिथुन राशि- सिर की समस्या, कंधे कमर के दर्द, धनागम, दाम्पत्य में तनाव।
कर्क राशि- आंखों में कष्ट, खर्च में वृद्धि, रोग ऋण एवं शत्रुओं का नाश।
सिंह राशि- आय के नए साधनो में वृद्धि, चोट या ऑपरेशन की संभावना, विद्या में अवरोध।
कन्या राशि- आंतरिक डर, सीने की तकलीफ, पारिवारिक समस्या ,वाहन एवं गृह पर खर्च ।
तुला राशि- पराक्रम वृद्धि, क्रोध में वृद्धि, सम्मान में वृद्धि, भाग्य में वृद्धि।
वृश्चिक राशि- भाग्य वृद्धि, वाणी में तीव्रता, खर्च वृद्धि, गृह एवं वाहन पर खर्च।
धनु राशि- सिर की समस्या, कन्धे या कमर के दर्द, दाम्पत्य में अवरोध, पेट की समस्या।
मकर राशि- शत्रु विजय ,क्रोध में वृद्धि, उच्चस्थ अधिकारी से तनाव, दाम्पत्य में तनाव, शरीरिक कष्ट।
कुम्भ राशि- संतान पक्ष से चिन्ता, शारीरिक कष्ट, मन अशान्त, आलस्य में वृद्धि।
मीन राशि- सीने की तकलीफ, गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि, भाग्य में वृद्धि।