रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के आदेश के बाद देश के सभी बैंक मैग्नेटिक स्ट्राइप वाले डेबिट व क्रेडिट कार्ड बंद करने जा रहे हैं। देश में इस वक्त दो तरह के डेबिट व क्रेडिट कार्ड व्यवहार में लाये जा रहे हैं, मैग्नेटिक स्ट्राइप वाला और दूसरा चिप वाला कार्ड। आरबीआई के आदेशानुसार पुराने कार्ड रिप्लेस करने की डेडलाइन दिसंबर 2018 है। ग्राहकों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स सिक्योर रखने के लिए ऐसा कदम उठाया गया है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2016 में सभी बैंकों को आदेश दे दिया था कि ग्राहकों के साधारण मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड्स को चिप वाले कार्ड से रिप्लेस किया जाए। इसकी डेडलाइन दिसंबर 2018 तय की गई है। बैंकों द्वारा ग्राहकों को भी इस बारे में सूचित करते हुए पुराने कार्ड को बदलने कहा जा रहा है। आरबीआई के अनुसार मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड अब पुरानी टेक्नोलॉजी हो चुकी है। यह कार्ड्स पूरी तरह सिक्योर नहीं थे, इसी वजह से इन्हें बंद किया जा रहा है। सभी पुराने कार्ड्स को नए ईएमवी चिप कार्ड्स से बदला जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड से ट्रांजैक्शन के लिए कार्डहोल्डर के सिग्नेचर या पिन की जरूरत होती है। इस पर आपके अकांउट की डिटेल्स मौजूद होती है। इसी स्ट्राइप की मदद से कार्ड स्वाइप के वक्त मशीन आपके बैंक इंटरफेस से जुड़ती है और प्रोसेस आगे बढ़ता है। वहीं, चिप वाले कार्ड में सारी इन्फॉरमेशन चिप में मौजूद होती है। इनमें भी ट्रांजैक्शन के लिए पिन और सिग्नेचर जरूरी होते हैं, लेकिन ईएमवी चिप कार्ड में ट्रांजैक्शन के वक्त यूजर को ऑथेंटिकेट करने के लिए एक यूनीक ट्रांजैक्शन कोड जनरेट होता है, जो वेरिफिकेशन को सपोर्ट करता है। ऐसा मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड में नहीं होता।
चिप वाले कार्ड ज्यादा सिक्योर हैं। इसमें डाटा चोरी होने की आशंका नहीं है, क्योंकि, उपभोक्ता की डिटेल चिप में होती है। जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता। चिप वाले कार्ड में हर ट्रांजैक्शन के लिए एक इनक्रिप्टेड कोड जारी होता है। इस कोड में सेंध लगाना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए ये कार्ड ज्यादा सुरक्षित हैं, जबकि मैग्नेटिक स्ट्राइप वाले कार्ड से डाटा कॉपी करना आसान है। स्ट्राइप पर दिए गए डाटा को कॉपी करके नकली कार्ड बनाना काफी आसान है।