वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई 6.3 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर की तुलना में काफी अधिक है। इससे भारत में आर्थिक विकास के मोर्चे पर निरंतर तेज वृद्धि होने के संकेत मिलते हैं। सीएसओ के अनुमानों में यह बताया गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्यों पर जीडीपी 33.98 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है जो वित्त वर्ष 2017-18 और वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में दर्ज की गई 31.72 लाख करोड़ रुपये और 29.79 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी की तुलना में काफी अधिक है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डॉ बिबेक देबरॉय ने जीडीपी वृद्धि दर के नवीनतम अनुमान का स्वागत करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू परिवेश में स्थिरता या स्थायित्व बनाए रखने के सफल सरकारी नीतिगत प्रयासों से ही यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार एवं निवेश करने में आसानी सुनिश्चित करने के साथ-साथ विकास को और ज्यादा न्यायसंगत एवं समावेशी बनाने के लिए सरकार द्वारा अनगिनत नई पहल करने से ही हाल के महीनों में भारत के आर्थिक हालात को बेहतर करने में काफी मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर तनाव रहने और कच्चे तेल के मूल्यों में तेज उतार-चढ़ाव होने के बावजूद भारत के मजबूत बुनियादी आर्थिक तत्वों की बदौलत वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की गति बढ़ाने में भारत निरंतर मददगार साबित हो रहा है। विनिर्माण के साथ-साथ निर्माण जैसे अनेक सेक्टरों में भी वृद्धि दर उल्लेखनीय रहने से यह पता चलता है कि विकास का दायरा अब भी अत्यंत व्यापक है। विकास के आंकड़े अत्यंत उत्साहवर्धक रहना और अंतिम छोर तक बिजली की कनेक्टिविटी एवं सभी के लिए आवास जैसे कार्यक्रमों के जरिए आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों का निरंतर सशक्तिकरण किया जाना आने वाली तिमाहियों में भारत की आर्थिक संभावनाओं की दृष्टि से सकारात्मक संकेत हैं।