5 नवंबर को धनतेरस के साथ ही पाँच दिवसीय दीपोत्सव का आरंभ हो जाएगा। धनतेरस के दिन चिकित्सा के देवता धन्वंतरि के पूजन के साथ ही धातु के गहनें और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन नये कपड़े भी खरीदे जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे मान्यता है कि चांदी चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समु्द्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी और माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन विभिन्न प्रकार की धातुओं से बने बर्तनों को खरीदते हैं। बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि, संपदा प्राप्त करने के भाव से ज्यादातर लोग सोने-चांदी, तांबा और अन्य धातुओं के बर्तनों की खरीदते हैं। इसके अलावा धनतेरस के दिन लोहे के बर्तन, कांच के बर्तन खरीदने से बचना चाहिए।
शुभ मुहूर्त-
धनतेरस पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक रहेगा। वहीं खरीदारी का मुहूर्त सुबह 7:07 से 9:15 बजे तक, दोपहर 1:00 से 2:30 बजे तक तथा रात 5:35 से 7:30 बजे तक रहेगा।