धनतेरस के साथ ही पाँच दिवसीय दीपोत्सव का आरंभ हो जाएगा। धनतेरस के दिन चिकित्सा के देवता धन्वंतरि के पूजन के साथ ही धातु के गहनें और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन नये कपड़े भी खरीदे जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे मान्यता है कि चांदी चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है।
इस दिन लक्ष्मी के साथ धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। दीपावली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनतेरस पर विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना चाहिए, क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है।
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है। इसके पीछे की कहानी कुछ यूं है। एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती| इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं। फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। विशेषरूप से यदि घर की लक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।
संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इनके साथ ही माँ लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई, जबकि धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि धन्वन्तरि को पीली वस्तु अधिक प्रिय है। पूजा में फूल, फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है। धनतेरस के अवसर पर यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है। दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज को नमन करना चाहिए।
धनतेरस की तिथि आज शुक्रवार 25 अक्टूबर को पड़ेगी, जिसमें पूजन का मुर्हुत शाम 7:08 बजे से रात 8:14 बजे तक रहेगा। वहीं धन्वन्तरि पूजन के लिये श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल एवं वृष लग्न शाम 5:39 बजे से 8:47 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि आज सुबह 07:08 बजे से कल 26 अक्टूबर को दोपहर 03:46 बजे तक रहेगी। वहीं धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 8:10 से 10:35 तक, सुबह 11:42 से दोपहर 12:20 तक, दोपहर 12:10 से 01:20 तक, शाम 04:17 से 05:35 तक रात 09:00 से 10:25 तक रहेगा।