भारतीय हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग ने हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद का गठन किया है। परिषद को पांच कार्यकारी समूहों की रिपोर्ट के आधार पर पहचाने गए कार्य बिन्दुओं की समीक्षा और कार्यान्वयन के लिए गठित किया गया है, जो कार्रवाई के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए विषयगत क्षेत्रों के साथ स्थापित किए गए थे।
हिमालय की विशिष्टता और सतत विकास की चुनौतियों को पहचानते हुए 2 जून 2017 को नीति आयोग के द्वारा 5 कार्य समूह गठित किए गए थे। इन कार्यकारी समूहों को निम्नलिखित पांच विषयगत क्षेत्रों में कार्रवाई के लिए रोडमैप तैयार करने का कार्य सौंपा गया था।
•जल सुरक्षा के लिए हिमालय में झरनों की सूची बनाना और पुनरुद्धार
•भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सतत पर्यटन का विकास
•स्थानांतरित खेती: परिवर्तन के दृष्टिकोण से
•हिमालय में कौशल और उद्यमिता (ईएंडएस) परिदृश्य को मजबूत करना और
•सूचित निर्णय लेने के लिए डेटा/सूचना
पांच विषयगत रिपोर्ट अगस्त 2018 में नीति आयोग ने जारी की थी और गठित परिषद के संदर्भ की शर्तों के लिए कार्यवाही तैयार की थी। हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत करेंगे और इसमें हिमालयी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ-साथ प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव, नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी और विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल होंगे।
हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए नोडल एजेंसी होगी जिसमें बारह राज्य जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम के दो जिले दीमा हसाओ और करबी आंग्लोंग, पश्चिम बंगाल के दो जिले दार्जिलिंग और कलिंपोंग शामिल होंगे। यह परिषद केंद्रीय मंत्रालयों, संस्थानों और 12 हिमालयी राज्य सरकारों की कार्रवाई योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा और जल सुरक्षा के लिए भारतीय हिमालयी क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से नदी बेसिन के विकास और क्षेत्रीय सहयोग, झरना मानचित्रण और पुनरुद्धार का कार्य करेगा।