प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात में देश को संबोधित करते हुए दीपावली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने संस्कृत के श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि
शुभम् करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदाम।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तुते।
कितना उत्तम सन्देश है। इस श्लोक में कहा है कि प्रकाश जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर के आता है, जो, विपरीत बुद्धि का नाश करके, सदबुद्धि दिखाता है। ऐसी दिव्यज्योति को मेरा नमन। इस दीपावली को याद रखने के लिए इससे बेहतर विचार और क्या हो सकता है कि हम प्रकाश को विस्तार दें, पाजिटिविटी का प्रसार करें और शत्रुता की भावना को ही नष्ट करने की प्रार्थना करें! आजकल दुनिया के अनेक देशों में दिवाली मनायी जाती है। विशेष बात यह कि इसमें सिर्फ भारतीय समुदाय शामिल होता है, ऐसा नहीं है बल्कि अब कई देशों की सरकारें, वहां के नागरिक, वहां के सामाजिक संगठन दिवाली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। एक प्रकार से वहां भारत खड़ा कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया में फेस्टिवल टूरिज्म का अपना ही आकर्षण है, हमारा भारत, जो country of festivals है, उसमें फेस्टिवल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएँ हैं। हमारा प्रयास होना चाहिये कि होली हो, दिवाली हो, ओणम हो, पोंगल हो, बिहु हो, इन जैसे त्योहारों का प्रसार करें और त्योहारों की खुशियों में, अन्य राज्यों, अन्य देशों के लोगों को भी शामिल करें। हमारे यहाँ तो हर राज्य, हर क्षेत्र के अपने-अपने इतने विभिन्न उत्सव होते हैं, दूसरे देशों के लोगों की तो इनमें बहुत दिलचस्पी होती है, इसलिए भारत में फेस्टिवल टूरिज्म बढ़ाने में, देश के बाहर रहने वाले भारतीयों की भूमिका भी बहुत अहम है।
उन्होंने कहा कि 12 नवंबर, यह वो दिन है, जिस दिन दुनिया भर में, गुरु नानकदेव का 550वाँ प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा। गुरु नानकदेव का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। दुनिया के कई देशों में हमारे सिख भाई-बहन बसे हुए हैं, जो गुरु नानकदेव के आदर्शों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि 31 अक्तूबर की तारीख़ आप सबको अवश्य याद होगी। यह दिन भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती का है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महानायक थे। सरदार पटेल में जहाँ लोगों को एकजुट करने की अद्भुत क्षमता थी, वहीँ, वे उन लोगों के साथ भी तालमेल बिठा लेते थे जिनके साथ वैचारिक मतभेद होते थे। सरदार पटेल बारीक़-से-बारीक़ चीजों को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे। उन्होंने कहा कि भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल ने, रियासतों को, एक करने का, एक बहुत बड़ा भगीरथ और ऐतिहासिक काम किया | सरदार वल्लभभाई की ये ही विशेषता थी जिनकी नज़र हर घटना पर टिकी थी | एक तरफ उनकी नज़र हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केन्द्रित थी वहीँ दूसरी तरफ उनका ध्यान दूर-सुदूर दक्षिण में लक्षद्वीप पर भी था। दरअसल, जब हम सरदार पटेल के प्रयासों की बात करते हैं तो देश के एकीकरण में कुछ खास प्रान्तों में ही उनकी भूमिका की चर्चा होती है। लक्षद्वीप जैसी छोटी जगह के लिए भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस बात को लोग शायद ही याद करते हैं। आप भलीभांति जानते है कि लक्षद्वीप कुछ द्वीपों का समूह है, यह भारत के सबसे खुबसूरत क्षेत्रों में से एक है। 2014 से हर साल 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें अपने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की हर कीमत पर रक्षा करने का सन्देश देता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि सितम्बर 2010 में जब राम जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। जरा उन दिनों को याद कीजिये, कैसा माहौल था। भांति-भांति के कितने लोग मैदान में आ गये थे। कुछ संगठन उस परिस्थितियों का अपने-अपने तरीके से फ़ायदा उठाने के लिए खेल खेल रहे थे, माहौल में गर्माहट पैदा करने के लिए, किस-किस प्रकार की भाषा बोली जाती थी भिन्न-भिन्न स्वरों में तीखापन भरने का भी प्रयास होता था। कुछ बयानबाजों ने और कुछ बड़बोलों ने सिर्फ और सिर्फ खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या बोल दिया था, कैसी-कैसी गैर – ज़िम्मेवार बातें की थी हमें सब याद है, लेकिन ये सब, पांच दिन, सात दिन, दस दिन, चलता रहा, लेकिन, जैसा ही फैसला आया, एक आनंददायक, आश्चर्यजनक बदलाव देश ने महसूस किया। एक तरफ दो हफ्ते तक गर्माहट के लिए सब कुछ हुआ था, लेकिन जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया तब सरकार ने, राजनैतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसायटी ने, सभी सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों ने, साधु-संतों ने बहुत ही संतुलित और संयमित बयान दिए। माहौल से तनाव कम करने का प्रयास, लेकिन आज मुझे वो दिन बराबर याद है। जब भी उस दिन को याद करता हूँ मन को खुशी होती है। न्यायपालिका की गरिमा को बहुत ही गौरवपूर्ण रूप से सम्मान दिया और कहीं पर भी गर्माहट का, तनाव का माहौल नहीं बनने दिया ये बातें हमेशा याद रखनी चाहिए। ये हमें बहुत ताकत देती है। वो दिन, वो पल, हम सबके लिए एक कर्त्तव्यबोध है। एकता का स्वर, देश को, कितनी बड़ी ताकत देता है उसका यह उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं दीपावली की शुभकामनाओं के साथ-साथ मैं आपसे आग्रह करूँगा कि आओ हम लोकल खरीदने के आग्रही बनें, स्थानीय चीजें खरीदें। देखिये महात्मा गाँधी के सपने को सिद्ध करने में हम भी कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। मैं फिर एक बार, इस दीपावली के पावन पर्व पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। दीवाली में हम भांति-भांति के पटाखे उसका उपयोग करते हैं। लेकिन कभी-कभी असावधानी में आग लग जाती है। कहीं इंजुरी हो जाती है। मेरा आप सब से आग्रह है कि खुद को भी संभालिये और उत्सव को बड़े उमंग से मनाइये। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।